जयपुर, राजस्थान: अधिवक्ता परिषद राजस्थान, जयपुर प्रांत की उच्च न्यायालय इकाई की ओर से शनिवार को विद्यार्थी भवन में एक महत्वपूर्ण जयपुर जिला अभ्यास वर्ग का आयोजन किया गया। यह अभ्यास वर्ग परिषद की संगठनात्मक रीति-नीति, कार्यपद्धति, सेवा-परंपरा और समाजहित के दायित्व जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित रहा। कार्यक्रम में चौमू, दूदू, फागी, जयपुर महानगर और उच्च न्यायालय इकाई के वरिष्ठ एवं युवा अधिवक्ता कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
संगठनात्मक नीति और कार्यकर्ता निर्माण पर गहन विमर्श
कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र परिषद की वैचारिक नींव और संगठनात्मक संरचना पर केंद्रित रहा। अधिवक्ता परिषद, राजस्थान के क्षेत्र मंत्री कमल परसवाल ने संगठन की संरचना, इकाइयों की भूमिका, कार्यकर्ता निर्माण और सामूहिक कार्यसंस्कृति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया:
“अधिवक्ता परिषद केवल अधिवक्ताओं का संगठन नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के न्याय और नीति के मूल्यों का संवाहक संगठन है।”
उन्होंने सभी से आग्रह किया कि परिषद के प्रत्येक कार्यक्रम को आत्मीयता और समर्पण के साथ समाज की दिशा में एक प्रेरक कदम बनाएं।
वैचारिक विशिष्टता: हिंदू चिंतन और उत्तरदायित्व
प्रांत महामंत्री ने परिषद की वैचारिक विशिष्टता को और गहराई से स्पष्ट करते हुए कहा कि:
“हमारा संगठन एक हिंदू पारिवारिक संगठन है, जहाँ हिंदू का अर्थ संस्कारवान, समर्पित और सेवा-प्रधान कार्यकर्ता से है।”
उन्होंने कहा कि परिषद का कार्यकर्ता वह है, जो न केवल नेतृत्व की क्षमता रखता है, बल्कि अनुशासित अनुयायी के रूप में संगठन और समाज दोनों के प्रति उत्तरदायी रहता है। उन्होंने भारतीय चिंतन की महानता को रेखांकित करते हुए कहा कि “विश्व में हिंदू चिंतन ही ऐसा है जो सृष्टि के प्रत्येक जीव में ईश्वर का अंश देखकर उसके कल्याण की भावना रखता है।”
अधिवक्ताओं की भूमिका और निशुल्क विधिक सहायता
कार्यक्रम का संचालन उच्च न्यायालय इकाई के महामंत्री धर्मेंद्र बराला ने किया। इकाई अध्यक्ष ने अपने उद्बोधन में कहा कि “न्याय और नीति के क्षेत्र में अधिवक्ताओं की भूमिका समाज के संवैधानिक जीवन का आधार है, और परिषद इस भावना को जन-जन में सशक्त करने का प्रयास करती है।”
उपाध्यक्ष सोनिया शांडिल्य ने परिषद द्वारा संचालित न्याय परामर्श एवं विधिक सहायता केंद्र की गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस केंद्र के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद नागरिकों को निशुल्क विधिक सहायता (free legal aid) दी जा रही है, जिससे समाज के वंचित वर्ग तक न्याय सुलभ बनाया जा सके।
उपस्थित पदाधिकारी और भविष्य की योजना
कार्यक्रम के अंत में आभार प्रकट करते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि शैक्षणिक, विधिक और सामाजिक क्षेत्रों में अधिवक्ता परिषद की भूमिका लगातार सशक्त हो रही है। आगामी महीनों में विधिक जागरूकता एवं सेवा कार्यक्रमों की एक श्रृंखला पूरे प्रांत में आयोजित की जाएगी।
इस अभ्यास वर्ग में रत्न लाल गुप्ता, सुनीता श्रीमाल, कृष्ण कुमार, मगन शर्मा, शिवराम शर्मा, संदीप पारीक, रमेश चंद शर्मा, राजाराम चौधरी, नेहा गोयल, उत्कर्ष द्विवेदी, अखिल तिवारी, धनंजय शर्मा, धर्मेंद्र गुप्ता सहित अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे।