जयपुर, राजस्थान: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित श्री विजयादशमी उत्सव (Vijayadashami Utsav) मंगलवार सायं राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) परिसर में भारी वर्षा के बीच भी पूरे उत्साह और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण आयोजन में लगभग 600 विद्यार्थी, मातृशक्ति, शिक्षक एवं स्वयंसेवक उपस्थित रहे। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, स्वयंसेवकों और विद्यार्थियों का उत्साह देखते ही बनता था; वे कार्यक्रम के निर्धारित समय से लेकर समाप्ति तक वर्षा में भीगते हुए भी डटे रहे, जो उनके अटूट समर्पण और अनुशासन का अद्भुत प्रमाण था।

संविधान सर्वोच्च ग्रंथ, राष्ट्र सेवा ही धर्म: क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम
संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने अपने मुख्य संबोधन में स्वयंसेवकों को संघ की विचारधारा की नींव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि:
“हमारे लिए सबसे बड़ा ग्रंथ संविधान है। राष्ट्र सेवा ही हमारा धर्म है और भारत माता ही हमारी आराध्य हैं।”
निम्बाराम ने डॉ. हेडगेवार के शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए कहा कि उपहास और विरोध का सामना करते हुए भी उन्होंने संगठन की नींव रखी। आज उनके जाने के बाद भी लाखों स्वयंसेवक तैयार खड़े हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ किसी का विरोधी नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन और सत्य-धर्म का कार्य करता है। संघ का अंतिम लक्ष्य केवल ‘भारत माता की जय’ और राष्ट्र का परम वैभव है। यह उद्घोष संघ के 100 वर्षों की यात्रा के मूल लक्ष्य को रेखांकित करता है।
भविष्य का लक्ष्य: पंच परिवर्तन और सामाजिक समरसता
निम्बाराम ने अपने संबोधन में संघ के भविष्य के मार्गदर्शक सिद्धांतों, “पंच परिवर्तन”, का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संघ इन्हीं पाँच प्रमुख लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है:
- सामाजिक समरसता (जातिभेद मिटाकर एकता लाना)
- स्व का आग्रह (अपनी संस्कृति और पहचान पर गर्व करना)
- कुटुंब प्रबोधन (पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों को मजबूत करना)
- पर्यावरण संरक्षण (प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना)
- नागरिक शिष्टाचार (समाज में अच्छे व्यवहार और अनुशासन का पालन करना)
ये पाँचों परिवर्तन समाज को एक मजबूत और नैतिक आधार देने का संघ का संकल्प हैं।
निर्भीकता और सदाचार प्रेरणास्पद: पूर्व DGP गोपाल मीणा
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक गोपाल मीणा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि संघ समाज में निर्भीकता, सदाचार, धर्मनिष्ठा और स्वदेश की भावना को मजबूत करता है। उन्होंने संघ की जीवनशैली और संगठनात्मक दृष्टि को समाज के लिए प्रेरणास्पद बताया।
कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम् के उद्घोष से हुआ, जिसने परिसर में देशभक्ति का भाव भर दिया। भारी बारिश के बावजूद स्वयंसेवकों का जोश और उत्साह, संघ के संकल्प और अनुशासन का सबसे बड़ा प्रमाण था।
कार्यक्रम में उपद्रव की कोशिश, पुलिस ने किया नियंत्रण
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के बाहर से आए NSUI कार्यकर्ताओं और कुछ अराजक तत्वों द्वारा अनावश्यक विरोध और उपद्रव करने की कोशिश की गई।
- तोड़फोड़: बरसात के कारण कार्यक्रम का स्थान बदलने के बाद खाली पड़े मैदान के मंच पर उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की।
- हमले का प्रयास: पार्किंग और वाहन व्यवस्था में लगे स्वयंसेवकों के साथ मारपीट करने की कोशिश भी की गई।
इस गंभीर परिस्थिति में, स्थानीय पुलिस प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए उपद्रवियों को तुरंत परिसर से बाहर खदेड़ा और स्थिति पर नियंत्रण किया। इसके बाद, कार्यक्रम अपने निर्धारित ढंग से देशभक्ति के वातावरण में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।