Bollywood Actor Speech on RSS 100 Years: अपने दमदार अभिनय और आवाज़ के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता शरद केलकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक कार्यक्रम में संगठन के कार्यकर्ताओं के समर्पण पर एक जबरदस्त भाषण दिया है। उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति के दो सर्वोच्च आदर्शों—भगवान राम और श्रीकृष्ण—के उदाहरणों से स्वयंसेवकों की अनासक्ति के भाव को स्पष्ट किया।
आसन से आशक्ति नहीं: श्रीराम और श्रीकृष्ण का उदाहरण
शरद केलकर ने अपनी बात की शुरुआत एक महत्वपूर्ण अवलोकन से की। उन्होंने कहा कि:
“इतिहास में ऐसे बहुत कम अवसर आए होंगे, जब इतने जल्दी-जल्दी आसन और मंच बदले होंगे।”
इस कथन के माध्यम से उन्होंने यह संकेत दिया कि संघ के कार्यकर्ता बिना किसी पद या स्थान के मोह के लगातार कार्य करते रहते हैं। उन्होंने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि:
“RSS के स्वयंसेवकों को आसन से आशक्ति नहीं होती, क्योंकि हमारे राष्ट्र जीवन के आदर्श श्रीराम हैं, जो सहजता से सिंहासन छोड़ देते हैं। हमारे आदर्श योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं, जिनके पास कोई आसन या शासन नहीं, फिर भी संसार उन्हें द्वारकाधीश कहता है।”
केलकर ने अपनी इस टिप्पणी से यह बताया कि संघ के कार्यकर्ता किसी पद या सत्ता के मोह में नहीं पड़ते, बल्कि भगवान राम की तरह त्याग और श्रीकृष्ण की तरह अनासक्ति के भाव से प्रेरित होकर राष्ट्र सेवा में लगे रहते हैं। यह विचारधारा ही संगठन को स्थायित्व प्रदान करती है।