RSS 100 Years Rajasthan News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 28 सितंबर से 5 अक्टूबर तक पूरे राजस्थान में विजयादशमी उत्सव को एक भव्य जन-जागरण अभियान के रूप में मनाया। संघ की रचना के अनुसार, प्रत्येक बस्ती और मंडल स्तर पर, पूरे प्रदेश में करीब 9 हजार स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें समाज के सभी वर्गों की उत्साहपूर्ण सहभागिता देखने को मिली।
आँकड़े और अभूतपूर्व जनभागीदारी
जयपुर प्रान्त संघचालक सरदार महेंद्र सिंह मग्गो ने इस आयोजन की सफलता के आँकड़े जारी किए।
- विस्तार: अकेले जयपुर प्रांत में 2500 से ज़्यादा स्थानों पर कार्यक्रम हुए, जिनमें लगभग तीन लाख स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
- जनता की सहभागिता: इन कार्यक्रमों में करीब पाँच लाख जनता भी सहभागी रही। बड़ी संख्या में महिलाएँ और युवाओं ने भाग लिया।
- गणवेश का आकर्षण: एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में नया गणवेश बनवाया।
- शहर का फोकस: जयपुर शहर में भी 291 स्थानों पर विजयादशमी उत्सव का आयोजन हुआ।
कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, प्रतिष्ठित समाजसेवी, जाति बिरादरी प्रमुख, संत महात्मा, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और उच्च प्रशासनिक अधिकारी सम्मिलित हुए, जो समाज में संघ की व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है।
नेतृत्व का मार्गदर्शन: आत्ममंथन और परम वैभव
इस विशाल आयोजन को संघ के शीर्ष अधिकारियों ने संबोधित किया।
- सह सरकार्यवाह अरुण कुमार: उन्होंने शताब्दी वर्ष की यात्रा को उत्सव का नहीं, बल्कि आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और संकल्प का समय बताया। उन्होंने कहा कि संघ स्वयं को बढ़ाने का नहीं, बल्कि राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है। संघ का लक्ष्य राष्ट्र का परम वैभव है—एक ऐसा समाज जो आध्यात्मिक आधार पर संपन्न और सबल हो।
- क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम: उन्होंने कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वयंसेवकों की निष्ठा के कारण ही संघ आज एक वट वृक्ष बन पाया है। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि विरोधी समाज में भ्रम फैलाकर हमारी संस्कृति को तोड़ना चाहते हैं, ऐसे में हमें अधिक सजग होकर समाज को एकजुट करना होगा।

पंच परिवर्तन का संकल्प: भव्य कार्यक्रम नहीं, समाज के लिए काम
निम्बाराम ने स्पष्ट किया कि संघ 100 वर्ष पूरे करने पर भव्य कार्यक्रम नहीं कर रहा है, बल्कि समाज के लिए ही कार्यक्रम करना तय किया है। यह ‘पंच परिवर्तन’ का विचार ही समाज के बीच काम करने का आधार है:
- स्व का जागरण
- नागरिक शिष्टाचार
- परिवार प्रबोधन
- पर्यावरण संरक्षण
- सामाजिक समरसता
इस अवसर पर भारत की प्राचीन परंपरा के अनुसार उत्साह से शस्त्र पूजन भी किया गया। स्वयंसेवकों ने अनेक स्थानों पर संचलन (Route March) भी निकाला। कार्यक्रम स्थल पर लगे साहित्य स्टॉल पर लोगों ने बड़ी मात्रा में साहित्य खरीदा।