भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी हैं 7 प्रमुख शक्तिपीठ | Shakti Peethas Outside Bharat

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भारत में प्रसिद्ध शक्तिपीठों के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि देवी सती के शरीर के अंग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देशों में भी गिरे थे। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी सती के आत्मदाह के बाद, जब भगवान शिव उनके नश्वर शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के 51 टुकड़े कर दिए थे। ये टुकड़े जिन-जिन स्थानों पर गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाते हैं। आइए जानते हैं भारत से बाहर स्थित कुछ प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में।

पाकिस्तान में स्थित शक्तिपीठ

  • हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj Shakti Peeth):
    • स्थान: यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ल्यारी तहसील में स्थित है, जो कराची से लगभग 125 किमी उत्तर-पूर्व में है।
    • पौराणिक कथा: मान्यता है कि यहाँ देवी सती का ब्रह्मरंध्र (ब्रह्मा का मस्तिष्क) गिरा था।
    • स्वरूप: यहाँ देवी की पूजा एक छोटी सी प्राकृतिक गुफा में, सिंदूर से लिपटे पत्थर के एक छोटे से गोल टुकड़े में की जाती है। यह स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए पूजनीय है।

बांग्लादेश में स्थित शक्तिपीठ

  • सुगंध शक्तिपीठ (Sugandha Shakti Peeth):
    • स्थान: यह शिकारपुर में स्थित है, जो बांग्लादेश में जिला बारिसल से 20 किमी उत्तर में है।
    • पौराणिक कथा: कहा जाता है कि इस स्थान पर सती की नाक गिरी थी। यहाँ देवी को सुनंदा या देवी तारा और उनके भैरव को त्र्यंबक के रूप में पूजा जाता है।
    • विशेषता: यह मंदिर शिव रात्रि या शिव चतुर्दशी के दौरान लगने वाले मेले के लिए प्रसिद्ध है।
  • महालक्ष्मी शक्तिपीठ (Mahalakshmi Shakti Peeth):
    • स्थान: यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के सिलहट कस्बे से 3 किमी उत्तर-पूर्व में जौनपुर गांव के श्री-शैल पर स्थित है।
    • पौराणिक कथा: यहाँ देवी सती की गर्दन गिरी थी। यहाँ वह देवी महालक्ष्मी के रूप में और उनके भैरव शंबरानंद के रूप में प्रकट होते हैं।
  • योगेश्वरी शक्तिपीठ (Yogeshwari Shakti Peeth):
    • स्थान: यह खुलना जिले के ईश्वरीपुर गाँव, जशोर में है।
    • पौराणिक कथा: यहाँ सती के हाथ और पैर गिरे थे। यहाँ देवी को योगेश्वरी शक्ति (काली का स्वरूप) के रूप में और उनके भैरव को चंदा भैरव के रूप में पूजा जाता है।
    • विशेषता: महाराजा प्रतापादित्य ने जेशोरेश्वरी के नाम पर इस शक्तिपीठ को पाया और इस स्थान पर देवी काली की पूजा की।

नेपाल में स्थित शक्तिपीठ

  • गुह्येश्वरी शक्तिपीठ (Guhyeshwari Shakti Peeth):
    • स्थान: यह मंदिर नेपाल के काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के पास, बागमती नदी के तट पर स्थित है।
    • पौराणिक कथा: इस स्थान पर सती के घुटने गिरे थे। यहाँ वह देवी महाशिर के रूप में और उनके भैरव कपाली के रूप में प्रकट होती हैं।
    • विशेषता: यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थान है, जहाँ हिंदुओं को छोड़कर किसी अन्य धर्म के लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध है।
  • गंडकी चंडी शक्तिपीठ (Gandaki Chandi Shakti Peeth):
    • स्थान: यह शक्तिपीठ नेपाल के मुक्तिनाथ में गंडकी नदी के तट के पास है।
    • पौराणिक कथा: यहाँ सती का दाहिना गाल गिरा था। यहाँ वह देवी गंडकी-चंडी और उनके भैरव चक्रपाणि के रूप में प्रकट होते हैं।
    • विशेषता: इस पवित्र स्थान का उल्लेख विष्णु पुराण में भी है और यह मुक्तिनाथ हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए एक पवित्र स्थल है।

तिब्बत (चीन) में स्थित शक्तिपीठ

  • दक्षिणायनी शक्तिपीठ (Dakshayani Shakti Peeth):
    • स्थान: यह शक्तिपीठ तिब्बत में मानसरोवर के कैलाश पर्वत के पास एक पत्थर की पटिया के रूप में है।
    • पौराणिक कथा: मान्यता है कि यहाँ सती का दाहिना हाथ गिरा था। यहाँ देवी को दक्षिणायनी (जिन्होंने दक्ष यज्ञ को नष्ट किया) के रूप में और उनके भैरव को अमर के रूप में पूजा जाता है।

इन शक्तिपीठों का अस्तित्व इस बात का प्रमाण है कि हिंदू धर्म की जड़ें सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये कई देशों में फैली हुई हैं, जो आस्था और संस्कृति को सीमाओं से परे जोड़ती हैं।

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