हिंगलाज माता मंदिर का इतिहास प्राचीन है और इसे हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक माना जाता है। यहां के मंदिर में हिंगलाज माता की मूर्ति स्थापित है, जिन्हें देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीनकाल में हुआ था और वैदिक संस्कृति से जुड़े धार्मिक अद्यात्म के प्रतीकों से सजा हुआ है।
पाकिस्तान में है मंदिर
हिंगलाज माता मंदिर का स्थान पाकिस्तान के बालोचिस्तान प्रांत में स्थित है। यह जगह हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान के आसपास स्थित है और सुंदर प्राकृतिक वातावरण में घिरा हुआ है। मंदिर का स्थान शानदार पहाड़ों और हिंगोल नदी के किनारे है, जिसकी खूबसूरतता इसे और आकर्षक बनाती है।
धार्मिक मान्यता और रहस्य
हिंगलाज मंदिर को नानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर हिंदू धर्म के 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है। लोग इसे बलूचिस्तान का वैष्णो देवी धाम भी कहते हैं। हिंगलाज मंदिर हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। अप्रैल के महीने में करीब पांच लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। शास्त्रों के अनुसार माता सती ने हवन कुंड में खुद को जला लिया था। वह अपने पिता के हाथों अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर सकीं। दुख में भगवान शिव ने कई दिनों तक माता सती के शरीर को ढोया। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र का प्रयोग शरीर पर किया, जिसके टुकड़े अलग-अलग जगहों पर गिरे, जो बाद में शक्तिपीठ कहलाए। कहा जाता है कि शरीर का पहला टुकड़ा उसका सिर था जो किरथर पर्वत पर गिरा और इसे हिंगलाज के नाम से जाना जाता है।
हिंगलाज माता मंत्र
ॐ हिंगुले परम हिंगुले, अमृत-रूपिणि।
तनु शक्ति मनः शिवे, श्री हिंगुलाय नमः स्वाहा ॥