All About RSS Prarthana (Prayer) in Hindi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रार्थना ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’ (Namaste Sada Vatsale Matrubhume) सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि इस संगठन की विचारधारा और कार्यप्रणाली की नींव है। यह प्रार्थना संघ की हर शाखा (shakha) और हर बड़े कार्यक्रम में अनिवार्य रूप से गाई जाती है। इसका हर एक शब्द स्वयंसेवकों को उनके उद्देश्य, राष्ट्र के प्रति समर्पण और एक अनुशासित जीवन (disciplined life) के महत्व को याद दिलाता है।
आइए, इस प्रार्थना के इतिहास, रचयिता, और इसके गहन अर्थ को विस्तार से समझते हैं।
प्रार्थना के रचयिता और इसका इतिहास (History and Author)
यह महत्वपूर्ण प्रार्थना पुणे के एक संस्कृत प्रोफेसर (Sanskrit professor) श्री नरहरि नारायण भिडे द्वारा लिखी गई थी। उन्होंने इसकी रचना संघ के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार (Dr. K.B. Hedgewar) और उनके उत्तराधिकारी माधव सदाशिव गोलवलकर (Madhav Sadashiv Golwalkar) जैसे वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में 1930 के दशक के अंत में की थी।
- रचना का समय: इस प्रार्थना को फरवरी 1939 में संस्कृत में लिखा गया था।
- पहली बार कब गाया गया?: इसे पहली बार 23 अप्रैल 1940 को पुणे में आयोजित एक संघ शिक्षा वर्ग में गाया गया था।
- धुन किसने दी?: प्रार्थना को जो धुन और लय मिली, वह आरएसएस के एक प्रचारक यादव राव जोशी (Yadav Rao Joshi) ने दी थी, जिन्होंने इसे पहली बार गाया था।
खास बात यह है कि पूरी प्रार्थना संस्कृत में है, लेकिन इसकी अंतिम पंक्ति ‘भारत माता की जय!’ को हिंदी (Hindi) में रखा गया है। यह एक रणनीतिक कदम था ताकि यह आम जनता के लिए एक शक्तिशाली, सरल और भावनात्मक नारा (emotional slogan) बन सके।
प्रार्थना के बोल और उसका अर्थ (Full Lyrics with Meaning)
प्रार्थना तीन श्लोकों और एक उद्घोष (slogan) में बंटी है। यहाँ इसके बोल, हिंग्लिश में उच्चारण (pronunciation), और सरल हिंदी में उसका अर्थ दिया गया है।
मूल संस्कृत (देवनागरी) | RSS Prarthana in Sanskrit Lyrics
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥२॥
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥३॥
॥भारत माता की जय॥
RSS Prarthana Lyrics in English (Hinglish)
Namaste Sada Vatsale Maatribhoome
Twaya Hindubhume Shukham Vardhitoham
Mahamangale Purnyabhume Twadarthe
Patatwesha Kayo Namaste Namaste ||1||
Prabho Shaktiman Hinduraashtraangbhoota
Ime Saadaran Tvan Namaamo Vayam
Twadiyaaya Karyaaya Baddha Katiyam
Shubhamashisham Dehi Tatpurtaye |
Ajayam Cha Vishwasya Dehisha Shaktim
Sushilan Jagad yen Namram Bhavet
Shrutam Chaiva Yat Kantakakirnamargam
Swayam Swikritan Nah Sugam Karyayet ||2||
Shamutkarshanihshreyasasaikamugram
Param Sadhanam Naam Veeravratam
Tadantahsphuratwakshya Dheyanishtha
Hridantah Prajagartu Teevrahnisham |
Vijetree Cha Nah Sanhata Karyashaktir
Vidhayasya Dharmasya Sanrakshanam
Param Vaibhavan Netumetat Swarashtram
Samartha bhavtwashisha Te Bhrisham ||3||
|| Bharata Mata Ki Jai ||
RSS Prayer (Prarthana) in Hindi
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥
हे वत्सल मातृभूमि! मैं तुम्हें सदैव प्रणाम करता हूँ। हे हिन्दुभूमि आपने ही मुझे सुख से बढ़ाया है। हे महामंगलमयी पुण्यभूमि आपके ही कार्य में मेरी यह काया (जीवन) समर्पित हो। आपको मैं अनन्त बार प्रणाम करता हूँ।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥२॥
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर ! हम हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत घटक, तुझे आदर पूर्वक प्रणाम करते हैं। आपके कार्य के लिए ही हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद देवें। विश्व के लिए जो अजेय हो ऐसी शक्ति, सारा जगत विनम्र हो ऐसा विशुद्ध शील तथा स्वयं के द्वारा स्वीकृत किये गये हमारे कण्टकमय पथ को सुगम करने वाला ज्ञान भी हमें देवें।
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥३॥
अभ्युदय सहित निःश्रेयस की प्राप्ति का जो एकमेव श्रेष्ठ उग्र साधन है, उस वीरव्रत का हम लोगों के अन्तःकरण में स्फुरण होवेे। अक्षय (कभी न खत्म होने वाली) तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा हमारे हृदय में सदैव जाग्रत रहे। आपके आशीर्वाद से हमारी विजयशालिनी संगठित कार्यशक्ति स्वधर्म का रक्षण कर, अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति पर ले जाने में पूर्णतः समर्थ होवें। भारत माता की जय।
प्रार्थना के नियम और शारीरिक अनुशासन (Guidelines and Discipline)
आरएसएस में प्रार्थना सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक शारीरिक और मानसिक अनुशासन (physical and mental discipline) का हिस्सा है।
- स्थान और मुद्रा: स्वयंसेवक प्रार्थना करते समय एक समान मुद्रा में सावधान की स्थिति में खड़े होते हैं। वे भगवा ध्वज (saffron flag) की ओर मुंह करके खड़े होते हैं, जिसे संघ का प्रतीक और राष्ट्र का सम्मान माना जाता है।
- दैनिक अनुष्ठान: यह प्रार्थना संघ की दैनिक शाखाओं (daily shakhas) का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह संघ के सभी कार्यक्रमों के अंत में गाई जाती है, जो अनुशासन, एकता और राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण के संदेश को मजबूत करती है।
यह शारीरिक अनुष्ठान, संगठन के भीतर व्यक्तिगत पहचान की जगह सामूहिक पहचान (collective identity) को प्राथमिकता देने के विचार को भी पुष्ट करता है।