नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक विशेष ‘व्याख्यानमाला’ में सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश और समाज में असली जागृति राजनीति (politics) से नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर नेतृत्व (local leadership) खड़ा करने से आएगी। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब संघ अपने शताब्दी वर्ष को राष्ट्र और समाज के लिए अपने संकल्प को दोहराने के एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रहा है।
गांधी और टैगोर का किया जिक्र
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान व्यक्तित्वों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने भी अपने समय में समाज में बदलाव लाने के लिए स्थानीय प्रयासों और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था। भागवत के इस बयान को संघ की उस सोच से जोड़ा जा रहा है, जो मानता है कि राष्ट्र निर्माण का कार्य सरकार या राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह grassroots level पर जनता की सक्रिय भागीदारी से संभव है।
शताब्दी वर्ष में संघ का फोकस
यह व्याख्यानमाला आरएसएस के शताब्दी वर्ष के समारोहों का हिस्सा है। मोहन भागवत के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि संघ आने वाले समय में समाज के हर तबके में ऐसे नेतृत्व को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो अपने समुदायों की समस्याओं का समाधान खुद कर सके। उनका यह कथन राजनीति से परे, सामाजिक और सांस्कृतिक जागरण के महत्व को रेखांकित करता है। यह समाज में नई ऊर्जा और जिम्मेदारी की भावना पैदा करने का एक प्रयास है।