गुरु जंभेश्वर भगवान: पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिकता के प्रतीक / Guru Jambheshwar Bhagwan Biography in Hindi

Guru Jambheshwar Bhagwan Biography in Hindi: गुरु जंभेश्वर भगवान, जिन्हें बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, का जन्म 1451 ईस्वी में राजस्थान के नागौर जिले के पीपासर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम लोहट जी पंवार और माता का नाम हांसाबाई था। जंभेश्वर भगवान का जीवन और उनके द्वारा स्थापित सिद्धांत आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्रारंभिक जीवन

गुरु जंभेश्वर का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे शांत और गंभीर स्वभाव के थे। उन्हें आध्यात्मिकता और प्रकृति के प्रति गहरा लगाव था। कहते हैं कि उन्हें अपनी आध्यात्मिक यात्रा का बोध 34 वर्ष की आयु में हुआ।

बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना

गुरु जंभेश्वर ने 1485 में बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना की। ‘बिश्नोई’ शब्द का अर्थ है ’29 नियमों का पालन करने वाले’। इन नियमों का उद्देश्य मानव जीवन को नैतिक, शुद्ध और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना था। ये नियम पर्यावरण संरक्षण, पशु प्रेम, और स्वच्छता पर विशेष जोर देते हैं। 

29 नियमों का महत्व

गुरु जंभेश्वर द्वारा प्रतिपादित 29 नियमों में से कुछ प्रमुख नियम हैं:

1. हरे पेड़ों की रक्षा: बिश्नोई संप्रदाय के अनुयायी हरे पेड़ों को नहीं काटते और उनकी रक्षा करते हैं।

2. पशु प्रेम: वे जानवरों की हत्या नहीं करते और उनके संरक्षण के लिए कार्य करते हैं।

3. स्वच्छता और शुद्धता: व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में स्वच्छता का पालन करते हैं।

4. मातृभूमि और नारी का सम्मान: मातृभूमि और नारी का सम्मान करना अनिवार्य है।

5. शाकाहार: वे पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं और मांसाहार का त्याग करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण में योगदान

गुरु जंभेश्वर ने अपने अनुयायियों को पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित किया। उनकी शिक्षाएं राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में भी हरियाली बनाए रखने में सहायक साबित हुईं। 1730 में, खेजड़ी पेड़ों की रक्षा के लिए 363 बिश्नोईयों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह घटना ‘खेजड़ी वृक्ष हत्याकांड’ या ‘बिश्नोई हत्याकांड’ के नाम से प्रसिद्ध है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति बिश्नोई समुदाय की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

शिक्षा और उपदेश

गुरु जंभेश्वर ने अपने अनुयायियों को सत्य, अहिंसा, और परोपकार के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी। वे कहते थे कि “प्रकृति का संरक्षण ही धर्म है”। उनके उपदेशों में मानवता, सदाचार, और नैतिकता का विशेष स्थान था।

निधन

गुरु जंभेश्वर का निधन 1536 में हुआ, लेकिन उनकी शिक्षाएं और सिद्धांत आज भी जीवित हैं। बिश्नोई संप्रदाय के लोग आज भी उनके दिखाए मार्ग पर चलते हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।

समकालीन संदर्भ

आज, जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट का सामना कर रही है, गुरु जंभेश्वर के सिद्धांत और शिक्षाएं पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई हैं। उनके जीवन और विचार हमें सिखाते हैं कि कैसे हम अपने पर्यावरण और समाज के प्रति जिम्मेदार हो सकते हैं।

गुरु जंभेश्वर भगवान का जीवन और उनके उपदेश हमें बताते हैं कि सच्ची भक्ति और आध्यात्मिकता केवल पूजा और ध्यान में ही नहीं, बल्कि प्रकृति और समाज की सेवा में भी है। उनके द्वारा स्थापित बिश्नोई संप्रदाय आज भी उनके आदर्शों का पालन करते हुए समाज और पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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