Rajasthan Handicrafts & Crafts in Hindi: राजस्थान की हस्तकला यहाँ की समृद्ध संस्कृति और कलात्मक विरासत का एक अभिन्न अंग है। यह पोस्ट राजस्थान की प्रमुख हस्तकलाओं, जैसे प्रिंट, मीनाकारी, टेराकोटा, और अन्य शिल्प कलाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करती है, और उनके संबंधित क्षेत्रों को उजागर करती है। यह छात्रों, पर्यटकों और कला प्रेमियों के लिए एक उपयोगी संदर्भ है।
राजस्थान की हस्तकला यहाँ की सदियों पुरानी परंपराओं और कारीगरी का प्रतीक है। हर क्षेत्र की अपनी एक अनूठी कला है, जो उसे विशिष्ट पहचान देती है। नीचे राजस्थान की कुछ प्रमुख हस्तकलाओं और उनसे संबंधित स्थानों की जानकारी दी गई है:
1. वस्त्र और प्रिंट कलाएँ
- अजरख व मलीर प्रिंट: बाड़मेर
- बगरू प्रिंट: जयपुर
- सांगानेरी प्रिंट: जयपुर
- खेसला, मोती भारत: जालौर
- मसूरिया साड़ी: कैथून, कोटा
- मलमल: मथानिया, जोधपुर
- नमदा: टोंक
- टांकला की दरियां: नागौर
2. धातु, मिट्टी और पत्थर की कला
- थेवा कला: प्रतापगढ़
- टेराकोटा: मोलेला, राजसमंद
- कागजी टेराकोटा: अलवर
- ब्लू पॉटरी: जयपुर
- ब्लैक पॉटरी: कोटा, सवाई माधोपुर
- बादला (जस्ते से निर्मित पानी की बोतल): जोधपुर
- लोहे के औजार: नागौर
- लाल पत्थर की मूर्तियां: थानागाजी, अलवर व सिकंदरा, दौसा
- संगमरमर की मूर्तियां: जयपुर
- काले पत्थर की मूर्तियां: तलवाड़ा, बांसवाड़ा
3. मीनाकारी और आभूषण
- मीनाकारी:
- पीतल पर मीनाकारी: जयपुर
- चांदी पर मीनाकारी: नाथद्वारा, राजसमंद
- तांबे पर मीनाकारी: भीलवाड़ा
- सोने पर मीनाकारी: प्रतापगढ़
- कुंदन कला: जयपुर
- तारकशी के जेवर: नाथद्वारा, राजसमंद
- तुडिया (नकली आभूषण): धौलपुर
4. लकड़ी और अन्य शिल्प
- कावड़: बस्सी, चित्तौड़गढ़
- कठपुतली बनाने का कार्य: उदयपुर और चित्तौड़गढ़
- तीर-कमान: चंदूजी का गढ़ा (बांसवाड़ा) व बोडीगामा (डूंगरपुर)
- रमकडा: गलियाकोट
- मामाजी के घोड़े: हरजी गांव, जालौर
- चंदन की काष्ठकला: चुरू
5. अन्य विशिष्ट कलाएँ
- दाबू प्रिंट:
- मिट्टी व गोंद का दाबू: आकोला, चित्तौड़गढ़
- मोम दाबू: सवाई माधोपुर
- मिट्टी का दाबू: बालोतरा
- फड़: शाहपुरा, भीलवाड़ा
- उस्ता, मथेरण, सुनहरी पोटरी, मटके: बीकानेर
- खेल का सामान: हनुमानगढ़
- सूघनी नसवार, तिल पट्टी: ब्यावर
- तलवारें: सिरोही
- मेहंदी व गरासियों की फाग: सोजत
- बातिका: खंडेला, सीकर
- छाता: फालना, पाली