राजस्थान का सामाजिक ताना-बाना: परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम

Live Sach Profle Photo

राजस्थान सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी भारत के सबसे विविध और रंगीन राज्यों में से एक है। यहाँ की सामाजिक संरचना परंपरा, जातीय विविधता, लोक संस्कृति, रीति-रिवाज़ और सामाजिक समरसता के अनोखे मेल का परिचय देती है। यह समाज आज भी अपनी गहरी जड़ों से जुड़ा है, लेकिन बदलते समय के साथ आधुनिकता को भी अपना रहा है। यहाँ की सामाजिक व्यवस्था, जो कभी एक कठोर पदानुक्रम (hierarchy) पर आधारित थी, अब समावेशिता और विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है।

यहाँ की सामाजिक विशेषताओं में लोक देवताओं की पूजा, पंचायती परंपरा, मेलों और त्योहारों की सामाजिक भागीदारी, नारी सम्मान की परंपरा और सामूहिक जीवन शैली प्रमुख हैं। घूमर, कालबेलिया, चकरी जैसे लोकनृत्य और कठपुतली, तेरहताली जैसे लोकनाट्य सामाजिक अभिव्यक्ति के माध्यम हैं।

राज्य में जनजातीय समुदायों की सामाजिक विशेषताएँ भी उल्लेखनीय हैं। भील और गरासिया जैसे समुदायों की अपनी अलग सामाजिक संरचना, विवाह पद्धति और धार्मिक विश्वास हैं। इनके मेलों—जैसे बेणेश्वर मेला—में सामाजिक एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की झलक मिलती है।

सामाजिक विकास की दिशा में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका बढ़ी है। पंचायती राज व्यवस्था ने ग्रामीण समाज को निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बनाया है।

यह भी पढ़ें

Live Sach – तेज़, भरोसेमंद हिंदी समाचार। आज की राजनीति, राजस्थान से ब्रेकिंग न्यूज़, मनोरंजन, खेल और भारतदुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले आपके मोबाइल पर पढ़ें!

Share This Article
Leave a Comment