भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India – PCI) भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और समाचार पत्रों व समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखने व उनमें सुधार करने के उद्देश्य से प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के तहत स्थापित एक वैधानिक (Statutory), अर्ध-न्यायिक (Quasi-judicial) और स्वायत्तशासी (Autonomous) निकाय है। यह पत्रकारिता के क्षेत्र में नैतिकता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारतीय प्रेस परिषद के अधिकार (Powers of Press Council of India)
भारतीय प्रेस परिषद को प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 की धारा 14 और 15 के तहत कई महत्वपूर्ण शक्तियां प्रदान की गई हैं, जिनमें सिविल न्यायालय की शक्तियां भी शामिल हैं:
- शिकायतों की जांच (Inquiry into Complaints): परिषद को प्रेस के विरुद्ध (आम जनता, व्यक्ति या संगठन द्वारा) या प्रेस द्वारा (पत्रकारों पर हमले, काम में बाधा आदि) प्राप्त शिकायतों की जांच करने का अधिकार है।
- समन्स जारी करना (Issuing Summons): यह गवाहों को सम्मन जारी कर सकती है और उन्हें शपथ पर परीक्षण (examination on oath) के लिए उपस्थित होने के लिए बाध्य कर सकती है।
- दस्तावेजों की मांग (Requiring Production of Documents): यह दस्तावेजों की खोज और निरीक्षण की मांग कर सकती है।
- शपथ पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करना (Receiving Evidence on Affidavits): परिषद को शपथ पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करने का अधिकार है।
- सरकारी रिकॉर्ड की मांग (Requisitioning Public Records): यह किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी सरकारी रिकॉर्ड या उसकी प्रतियों की मांग कर सकती है।
- निर्णय और फटकार (Admonition/Censure/Warning): शिकायतों की सुनवाई के बाद, यदि परिषद को लगता है कि किसी समाचार पत्र, समाचार एजेंसी, संपादक या पत्रकार ने पत्रकारिता नैतिकता का उल्लंघन किया है, तो वह उन्हें चेतावनी (Warning) दे सकती है, निंदा (Censure) कर सकती है, फटकार (Admonition) लगा सकती है या उनके आचरण को गलत ठहरा (Disapprove) सकती है।
- निर्णयों की अंतिम प्रकृति (Finality of Decisions): परिषद द्वारा लिए गए निर्णय अंतिम होते हैं और सामान्यतः किसी न्यायालय में उनके विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती (कुछ संवैधानिक अपवादों को छोड़कर)।
- अपनी प्रक्रिया निर्धारित करना (Determining its own Procedure): परिषद को अपनी जांच और कार्यवाही के लिए अपनी प्रक्रिया निर्धारित करने का अधिकार है।
- फंडिंग (Funding): यह अपने कार्यों के लिए पंजीकृत समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों से शुल्क ले सकती है, और केंद्र सरकार द्वारा भी इसे धन आवंटित किया जाता है।
सीमाएं: यह महत्वपूर्ण है कि PCI के पास जुर्माना लगाने या किसी समाचार पत्र के प्रकाशन को निलंबित करने की शक्ति नहीं है। यह मुख्य रूप से नैतिक दबाव और सार्वजनिक निंदा के माध्यम से कार्य करती है। इसका अधिकार क्षेत्र केवल प्रिंट मीडिया (Print Media) तक सीमित है, और इलेक्ट्रॉनिक (टीवी, रेडियो) और डिजिटल मीडिया (इंटरनेट, सोशल मीडिया) पर इसका कोई सीधा नियंत्रण नहीं है।
भारतीय प्रेस परिषद के कर्तव्य (Duties of Press Council of India)
प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 की धारा 13 भारतीय प्रेस परिषद के मुख्य कर्तव्यों को रेखांकित करती है:
- प्रेस की स्वतंत्रता का संरक्षण (Preserving Freedom of the Press): यह सुनिश्चित करना कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता बनी रहे और उस पर अनुचित दबाव न पड़े। यह पत्रकारों को उनके काम में बाधा डालने वाले सरकारी या अन्य हस्तक्षेपों से बचाता है।
- उच्च व्यावसायिक मानकों को बनाए रखना और सुधारना (Maintaining and Improving Professional Standards):
- समाचार पत्रों, समाचार एजेंसियों और पत्रकारों के लिए उच्च वृत्तिक स्तर (High Professional Standards) के अनुसार एक आचार संहिता (Code of Conduct/Ethics) बनाना और उसे लागू करना।
- पत्रकारिता की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए नैतिक दिशा-निर्देश निर्धारित करना।
- सार्वजनिक रुचि का उच्च स्तर सुनिश्चित करना (Ensuring High Standards of Public Interest): यह सुनिश्चित करना कि समाचार पत्रों, समाचार एजेंसियों और पत्रकारों की ओर से लोक-रुचि (Public Interest) के उच्च स्तर रखे जाएं, और नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों दोनों की सम्यक् भावना का पोषण किया जाए।
- जिम्मेदारी और लोक-सेवा की भावना को प्रोत्साहित करना (Encouraging Responsibility and Public Service): पत्रकारिता से जुड़े सभी व्यक्तियों में जिम्मेदारी और लोक-सेवा की भावना को प्रोत्साहित करना।
- गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता पर अंकुश (Curbing Irresponsible Journalism): अनुचित, सनसनीखेज, पूर्वाग्रही या नैतिक रूप से गलत रिपोर्टिंग की शिकायतों पर कार्रवाई करना।
- विकास का अध्ययन (Studying Developments): समाचार पत्रों और पत्रकारिता के क्षेत्र में होने वाले महत्वपूर्ण विकास का अध्ययन करना और सरकार को सिफारिशें देना।
- तकनीकी विकास पर नजर (Monitoring Technological Developments): समाचार पत्रों में उपयोग किए जाने वाले तकनीकी विकास पर नजर रखना और इस संबंध में उचित सिफारिशें करना।
- समाचार पत्र उद्योग की आर्थिक समस्याएं (Economic Problems of Newspaper Industry): छोटे और मध्यम समाचार पत्रों की समस्याओं का अध्ययन करना और उनके समाधान के लिए सुझाव देना।
- कानूनों की समीक्षा (Reviewing Laws): उन कानूनों की समीक्षा करना जो प्रेस की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकते हैं और उनमें संशोधन का सुझाव देना।
संक्षेप में, भारतीय प्रेस परिषद प्रेस के लिए एक आत्म-नियामक निकाय (Self-regulatory Body) के रूप में कार्य करती है, जो प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के साथ-साथ यह भी देखती है कि पत्रकारिता नैतिक सिद्धांतों और उच्च मानकों का पालन करे। यह प्रेस और जनता के बीच विश्वास बनाए रखने के लिए एक सेतु का काम करती है।
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