भारत में प्रेस कमीशन: क्यों और कब हुई इनकी स्थापना?

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भारतीय लोकतंत्र में प्रेस (Press) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसी महत्व को समझते हुए, देश में समय-समय पर प्रेस कमीशन (Press Commission) की स्थापना की गई, ताकि पत्रकारिता के क्षेत्र की चुनौतियों और संभावनाओं का आकलन किया जा सके। लेकिन आखिर क्यों इन कमीशनों को गठित करने की ज़रूरत पड़ी?


प्रेस कमीशन की स्थापना के मुख्य कारण

प्रेस कमीशनों का गठन मुख्यतः भारत में प्रेस के कामकाज की गहन जाँच करने और उसके सुधारों के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करने के उद्देश्य से किया गया था। इनके मुख्य लक्ष्य प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना, नैतिक मानकों को बढ़ावा देना और सार्वजनिक हित के प्रति उसकी जवाबदेही तय करना था:

  1. प्रेस की बदलती स्थिति का आकलन: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में समाचार पत्रों का तेजी से विस्तार हुआ। इनकी बदलती प्रकृति, संरचना और कार्यप्रणाली को समझने के लिए एक विस्तृत मूल्यांकन की आवश्यकता थी।
  2. प्रेस की स्वतंत्रता का संरक्षण: यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि प्रेस पर किसी भी प्रकार का सरकारी या निजी दबाव न पड़े, ताकि वह बिना किसी भय या पक्षपात के अपनी भूमिका निभा सके।
  3. पत्रकारिता के मानकों में सुधार: कमीशन का उद्देश्य पत्रकारिता की गुणवत्ता, नैतिकता और व्यावसायिकता को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देना था। इसमें पत्रकारों के प्रशिक्षण, शिक्षा और एक आचार संहिता (Code of Ethics) का निर्माण भी शामिल था।
  4. स्वामित्व और नियंत्रण की जाँच: समाचार पत्रों के स्वामित्व पैटर्न और उनके नियंत्रण के तरीकों की जाँच करना भी महत्वपूर्ण था, ताकि मीडिया एकाधिकार (Media Monopoly) को रोका जा सके और पत्रकारिता में विविधता बनी रहे।
  5. वित्तीय व्यवहार्यता का अध्ययन: विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के समाचार पत्रों की आर्थिक चुनौतियों और समस्याओं का अध्ययन करना, ताकि उनके अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
  6. प्रेस कानूनों की समीक्षा: मौजूदा प्रेस कानूनों की समीक्षा करना और उनमें आवश्यक संशोधनों या नए कानूनों के निर्माण पर सरकार को सिफारिशें देना।

भारत के प्रमुख प्रेस कमीशन

भारत में अब तक दो प्रमुख प्रेस कमीशन स्थापित किए गए हैं, जिन्होंने पत्रकारिता के परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:

  • पहला प्रेस कमीशन (1952-1954): भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में गठित इस कमीशन का उद्देश्य प्रेस की स्थिति का विस्तृत अध्ययन करना था। इसकी सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India – PCI) की स्थापना थी, जिसका लक्ष्य पत्रकारिता के मानकों और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना था।
  • दूसरा प्रेस कमीशन (1978-1982): आपातकाल के बाद गठित इस कमीशन ने प्रेस की स्वतंत्रता, उसकी जिम्मेदारियों, स्वामित्व पैटर्न और विभिन्न प्रेस कानूनों से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट और महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत कीं।

संक्षेप में, प्रेस कमीशनों का गठन भारत में एक स्वतंत्र, जिम्मेदार और सशक्त पत्रकारिता को बढ़ावा देने और उसे विनियमित करने के लिए एक व्यापक ढाँचा तैयार करने के लिए किया गया था, जो लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रख सके।

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