करम जिसे पुकारे वो पहुँचे गंगा किनारे
ना कर मैली तू गंगा, तन धोए, मन तो गंदा
पलट के फिर ना आनी बोली बात और बहता पानी
ना कर मैली तू गंगा, तन धोए, मन तो गंदा
मन पावन हो गंगा में डूबे, नहाए
मन रावण जो लहरों में तूने बहाए
जो चला गया वो लौट के फिर ना आए
तेरा कर्म ही है जो संग तेरे ही जाए
मन पावन हो गंगा में डूबे, नहाए
मन रावण जो लहरों में तूने बहाए
हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, गंगे
हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, गंगे
हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, गंगे
हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, हर-हर गंगे, गंगे
जो पास तेरे वही तेरा, बाक़ी सब मोह का फेरा
तू क्यूँ समझ ना पाया, तन मिट्टी है, मन माया?
भगवा चोला तन पे जो तू ओढ़े
हर चोला तो जाएगा पीछे छोड़े