Sindhu Darshan Yatra in Hindi: हर साल, भारत के विभिन्न राज्यों से हजारों लोग पवित्र सिंधु नदी के दर्शन के लिए लद्दाख की यात्रा करते हैं। इस यात्रा को ‘सिन्धु दर्शन तीर्थ यात्रा’ कहा जाता है। खास बात यह है कि इस यात्रा का खर्च उठाने के लिए कई राज्य सरकारें तीर्थयात्रियों को आर्थिक मदद देती हैं। पर सवाल उठता है कि सरकारें ऐसा क्यों करती हैं? इसका जवाब केवल धर्म से जुड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, संस्कृति और स्थानीय विकास से भी जुड़ा है।
सरकार क्यों देती है आर्थिक मदद? (Government Subsidy)
सरकार का इस यात्रा में सहयोग देने का मुख्य कारण इसे भारत की राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनाना है। यहां सरकारें कई उद्देश्यों को पूरा करती हैं:
- राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना: सिंधु नदी का भारत के इतिहास में गहरा महत्व है। हमारे देश का नाम ‘भारत’ इसी ‘सिंधु’ शब्द से आया है। सरकार चाहती है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग लद्दाख आकर इस नदी को देखें और भारत की साझा विरासत को समझें। इसीलिए, इस यात्रा में लोग अपने राज्यों की नदियों से पानी लाकर सिंधु में मिलाते हैं, जो देश की विविधता में एकता का प्रतीक है।
- सिंधी समुदाय को जोड़ना: इस यात्रा का एक खास मकसद सिंधी समुदाय को उनकी जड़ों से जोड़ना भी है। बंटवारे के बाद सिंधी समुदाय की मातृभूमि सिंध (जो अब पाकिस्तान में है) भारत से अलग हो गई। यह यात्रा उन्हें अपनी पवित्र नदी के दर्शन करने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने का मौका देती है। उत्तर प्रदेश सरकार तो सिंधी समुदाय के सदस्यों को खासतौर पर ₹20,000 की आर्थिक मदद देती है।
- स्थानीय विकास में मदद: सरकार इस यात्रा को पर्यटन के लिए भी बढ़ावा दे रही है, ताकि लद्दाख में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हों। उत्तर प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि इस यात्रा से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और यह सिर्फ एक पर्यटन से बढ़कर एक बड़ा काम कर सकेगी।
कितनी मदद मिलती है?
हर राज्य की अपनी अलग योजना है। इस साल, राजस्थान सरकार ने अपनी योजना में बड़ा बदलाव किया है और मदद की राशि बढ़ा दी है।
राज्य | सब्सिडी राशि (₹) | लाभार्थियों की संख्या | पात्रता के मुख्य मापदंड |
राजस्थान (Rajasthan) | ₹15,000 (2025 से नई) | 200 (लॉटरी से चयन) | राजस्थान का मूल निवासी, कम से कम 21 वर्ष, आयकरदाता न हो। |
गुजरात (Gujarat) | ₹15,000 | 300 (पहले आओ, पहले पाओ) | गुजरात का मूल निवासी। |
हरियाणा (Haryana) | ₹10,000 | 50 | हरियाणा का स्थायी निवासी। |
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) | ₹10,000 | अनिर्दिष्ट (लॉटरी से चयन) | मध्य प्रदेश का मूल निवासी, आयकरदाता न हो। |
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) | ₹20,000 | अनिर्दिष्ट | सिंधी समुदाय का सदस्य। |
यात्रा में और क्या है खास?
2025 में इस यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए कई काम किए गए हैं। सिंधु घाट पर एक नया स्टील का पुल बन रहा है और सिंधु नदी के पास एक बड़ी बुद्ध प्रतिमा भी बनाई जा रही है। ये सभी बदलाव इस जगह को एक स्थायी तीर्थस्थल बनाने की सरकारी कोशिश का हिस्सा हैं।
इस तरह, सरकारें सिन्धु दर्शन तीर्थ यात्रा का खर्च उठाकर देश के नागरिकों को एक साथ लाने, अपनी साझा विरासत का सम्मान करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम कर रही हैं। यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की एकता और संस्कृति का एक बड़ा उत्सव है।