गुलाबी शहर जयपुर (Jaipur) के हृदय में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर (Moti Dungri Ganesh Temple) केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और कला का एक अद्भुत संगम है। यह मंदिर भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) को समर्पित है और अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए देशभर में प्रसिद्ध (Famous Temple) है। यहाँ मोती डूंगरी गणेश मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य प्रस्तुत हैं, जो इसे जयपुर का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल (Religious site) बनाते हैं।
इतिहास और निर्माण: मंदिर का निर्माण 1761 में जयपुर के महाराजा माधोसिंह प्रथम (Maharaja Madhosingh 1) ने करवाया था। यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी, जिसे मोती डूंगरी कहा जाता है, पर स्थित है, जिसके कारण इसे यह नाम मिला। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली (Nagar style) और स्कॉटिश कैसल (Scottish Castle) की शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है। मंदिर की दीवारों पर आकर्षक नक्काशी और चित्रकारी देखी जा सकती है।
गणेश प्रतिमा का रहस्य: मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा (Ganesh idol) लगभग 500 साल पुरानी बताई जाती है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा उदयपुर (Udaipur) से लाई गई थी। मूर्ति की सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है, जो बहुत कम गणेश प्रतिमाओं में देखने को मिलती है और इसे शुभ माना जाता है। मूर्ति को सिंदूरी रंग से रंगा गया है, जो इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है। यह मंदिर जयपुर का एक प्रमुख गणेश मंदिर (Ganesh Temple Jaipur) है।
अद्भुत स्थापत्य कला: मंदिर परिसर में एक प्राचीन शिवलिंग भी है, जिसे 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो बड़े चूहे (Lord Ganesh’s Vahan) की मूर्तियाँ हैं, जिन्हें भगवान गणेश का वाहन माना जाता है। भक्त इन चूहों के कान में अपनी इच्छाएँ फुसफुसाते हैं, यह मानते हुए कि वे उनकी प्रार्थनाएँ गणेश जी तक पहुँचाते हैं। मंदिर का संगमरमर का काम और बारीक कलाकारी देखने लायक है।
लोकप्रियता और त्यौहार: मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर के लोगों के लिए एक विशेष महत्व रखता है। प्रत्येक बुधवार को, खासकर गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दौरान, यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। गणेश चतुर्थी पर यहाँ एक विशाल मेला (Fair) लगता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नए वाहन खरीदने वाले लोग अक्सर अपने वाहन को मंदिर में आशीर्वाद दिलाने के लिए लाते हैं। यह मंदिर जयपुर के पर्यटन स्थलों (Tourist destination) में से एक है।
अनोखी परंपराएँ: मंदिर में प्रसाद के रूप में लड्डू (Laddus) और मोदक (Modak) चढ़ाए जाते हैं, जो भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय हैं। मंदिर का रख-रखाव और संचालन पूर्व जयपुर राजपरिवार के ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। यहाँ का वातावरण हमेशा शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह मंदिर राजस्थान के प्रमुख मंदिरों (Famous Temples of Rajasthan) में से एक है।