जिहादी मानसिकता ने छीन लिया एक मॉं का बेटा, देवराज के अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़

उदयपुर। 16 अगस्त को शहर के एक सरकारी स्कूल में नाबालिग मुस्लिम छात्र द्वारा की गई चाकूबाजी में घायल नाबालिग हिन्दू छात्र देवराज मोची की सोमवार (19 अगस्त 2024) को मौत हो गई। देवराज ने अस्पताल में लगभग 80 घंटे तक जीवन और मौत के बीच संघर्ष किया, लेकिन वह हार गया, जिहादी मानसिकता जीत गई। रक्षाबंधन के दिन देवराज की मौत ने पूरे हिन्दू समाज को झकझोर कर रख दिया और आज उसके अंतिम संस्कार में जैसे पूरा उदयपुर उमड़ पड़ा। स्थिति संभालने के लिए प्रशासन को भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।

छात्र की मौत से कुछ देर पहले ही उसकी बहन ने उसके हाथ में राखी बाँधी थी। बच्चे की मौत का समाचार फैलते ही लोग अस्पताल के बाहर इकट्ठे होने लगे। उस समय जिसने भी देवराज की मॉं और बहन बिलखते देखा, अपने आंसू नहीं रोक सका। मॉं बस सबसे एक ही प्रश्न पूछ रही थी, “कोई तो बता दो आखिर मेरे बेटे का अपराध क्या था?”

दूसरी ओर सबकी जुबान पर एक ही बात थी, देवराज जिहादी सोच का शिकार हो गया। समाजसेवी अभिनव कहते हैं, इस घटना ने ना सिर्फ राजस्थान बल्कि देश की जनता को सोचने पर विवश कर दिया है कि आखिर मुस्लिम समाज में ऐसी वीभत्स सोच और कट्टरता आ कहां से रही है? एक 15 वर्ष के छात्र द्वारा अपने ही हमउम्र सहपाठी को चाकू मारना मुस्लिम छात्र की मानसिकता और उसके परिवार में दिये जा रहे संस्कारों पर प्रश्नचिन्ह है।

देवराज की मौत पर दुख प्रकट करते हुए डॉ. मुद्रिका कहती हैं, आरोपी छात्र दसवीं कक्षा का विद्यार्थी है। इस हिसाब से उसकी आयु 14-15 वर्ष रही होगी। इस आयु के बच्चों के बैग में बुक्स, कॉपी और पैन-पेंसिल होने चाहिए, लेकिन इस छात्र के पास था धारदार चाकू। यह छात्र की परवरिश को दर्शाता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इतनी कम आयु के बावजूद उसको पता था कि चाकू शरीर के कौन से हिस्से पर मारना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उसने सिर्फ जांघ पर चाकू से वार किए। ईद पर हर वर्ष और मांसाहार के चलते अक्सर बचपन से जानवरों को कटते देखना और जानवर को कैसे काटते हैं ऐसी बातें सुनना मुस्लिम बच्चों को हिंसक बना रहा है। हिन्दुओं को काफिरों के रूप में देखना भी उनसे घृणा का एक बड़ा कारण है, जो छोटी छोटी सी बात पर दिख जाती है। कोटा में मंदिर के पास बह रहे पानी में दरगाह में पकाए मांस के बर्तन धोने से मना करने पर मुसलमानों द्वारा मंदिर में घुसकर चाकू लेकर पुजारी को मारने दौड़ना, जयपुर के शास्त्री नगर में ई रिक्शा और स्कूटी के आगे पीछे करने की मामूली बात को लेकर शाहरुख व उसके दोस्तों द्वारा हिन्दू व्यक्ति की पिटायी करना तो अभी ताजा घटनाएं हैं।

मुस्लिम वोट बैंक के भूखे नेता भूले मानवता
देवराज की मौत के बाद जहां अधिकांश लोगों ने इसे जिहादी मानसिकता की पराकाष्ठा बताया, वहीं कुछ पार्टियां और उनके नेता इसमें भी राजनीति करने से बाज नहीं आए। इनको आरोपी छात्र के अब्बू द्वारा वन भूमि पर बनाए गए अवैध मकान की चिंता थी, लेकिन उन्होंने कट्टरवादी सोच के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहा।

घटना के संदर्भ में बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रौत ने एक्स पर लिखा “उदयपुर शहर में स्कूली बच्चों में चाकूबाजी की घटना निंदनीय है, दोषी को कानून में जो भी सजा है वो मिलनी चाहिये, लेकिन आज भाजपा सरकार ने नाबालिग मुल्जिम के घर पर बुलडोज़र चलाकर धर्मवाद का जहर घोलने का काम किया है। राजस्थान में तलवार से गला कटेगा तो कुछ नहीं चलेगा, चाकू चली तो बुलडोज़र चलेगा? गुनाह गुनाह होता है, और हर गुनाह की सजा एक होनी चाहिये। जाति-धर्म को देखकर बुल्डोजर चलाना देश के भविष्य को नफरत में धकेलने का काम हो रहा है।”

अब राजकुमार रौत से कोई पूछे तलवारों से कितने गले कटे, किसने काटे और किसने उनका समर्थन किया? चाकू से गले कटने का साक्षी तो स्वयं उदयपुर है। पहले कन्हैयालाल का गला कटा और अब चाकू ने ही देवराज मोची की जान ले ली।

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