इतिहास के झरोखे से: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर महापुरुषों का दृष्टिकोण और अनसुने तथ्य 🇮🇳

SS के 100 साल: जानिए Dr. Ambedkar और Lal Bahadur Shastri ने क्यों किया था RSS की सराहना। पढ़ें 1965 Indo-Pak War में गुरुजी की भूमिका और Vithalbhai Patel के विचार। RSS History & Facts in Hindi.

Live Sach Profle Photo

Facts About RSS in Hindi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS – Rashtriya Swayamsevak Sangh) भारत के सबसे बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों में से एक है। RSS की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, संघ से जुड़े कुछ ऐसे ऐतिहासिक तथ्य सामने आए हैं जो बताते हैं कि देश के कई दिग्गज नेताओं ने भी समय-समय पर इसके कार्यों की प्रशंसा की थी।

संस्थापक और संविधान निर्माता की भेंट

भारत के संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) ने स्वयं कई बार RSS के कार्यों का अवलोकन किया। सबसे पहले, वह 1935 में पुणे (Pune) में आयोजित महाराष्ट्र के पहले संघ शिविर में शामिल हुए। यहीं उनकी भेंट संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. K. B. Hedgewar) से भी हुई थी।

वकालत के सिलसिले में जब डॉ. आंबेडकर दापोली (Dapoli, Maharashtra) गए, तो उन्होंने वहाँ की संघ शाखा का भी अवलोकन किया। इसके अलावा, 1937 में कराड़ शाखा के विजयादशमी उत्सव पर बाबासाहब ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया था। 1939 में वह पूना के संघ शिक्षा वर्ग में भी पहुँचे थे, जहाँ लगभग 525 गणवेशधारी स्वयंसेवक मौजूद थे। पुणे में भाऊसाहेब गडकरी जी के बंगले पर डॉ. आंबेडकर और डॉ. हेडगेवार की महत्वपूर्ण चर्चा भी हुई थी।

1965 युद्ध में गुरुजी की भूमिका

1965 में जब भारत-पाकिस्तान (Indo-Pak War) युद्ध छिड़ा, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने राष्ट्रीय एकता दर्शाने के लिए सर्वपक्षीय मंत्रणा समिति की बैठक बुलाई। उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित न होने के बावजूद, संघ प्रमुख श्री गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) को भी आमंत्रित किया।

यह बैठक 6 सितंबर 1965 को दिल्ली (Delhi) में आयोजित हुई। उस समय श्री गुरुजी महाराष्ट्र के सांगली (Sangli) नगर में थे। शासन की सूचना मिलते ही वह तुरंत Delhi पहुँचे और बैठक में शामिल हुए। उस समय ‘Times of India’ में प्रकाशित समाचार ‘Opposition To Give Full Support To Govt.’ ने राष्ट्रीय एकता के इस दृश्य को रेखांकित किया था।

अन्य प्रमुख नेताओं के मत

RSS के आरंभिक वर्षों में, केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल (Vithalbhai Patel) ने 23 अक्तूबर 1928 को पहले पथसंचलन में भाग लिया था। उन्होंने स्वयंसेवकों की सराहना करते हुए कहा था कि उन्होंने “शक्तिशाली जीवित हाथ” देखे हैं, जो मातृभूमि का भविष्य संवारेंगे।

इसके अलावा, कई अन्य प्रमुख हस्तियों ने RSS के कार्यों पर अपने विचार रखे:

  • डॉ. ज़ाकिर हुसैन (Dr. Zakir Hussain): उन्होंने RSS पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के आरोपों को पूरी तरह झूठा बताते हुए कहा था कि मुसलमानों को संघ से संगठन और सहयोग सीखना चाहिए।
  • जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan): उन्होंने माना कि RSS चरित्र का पोषण करता है और भारतीय संस्कृति तथा परंपराओं के आधार पर राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए कार्य कर रहा है।
  • सरदार पटेल (Sardar Patel): उन्होंने 1947 में RSS के युवा पुरुषों के उत्साह की प्रशंसा की, हालांकि इसे रचनात्मक दिशा में मोड़ने की सलाह भी दी थी।
  • डॉ. ईश्वरी प्रसाद (Dr. Ishwari Prasad): इस इतिहासकार ने कहा था कि RSS संगठन आज हमारे देश की आवश्यकता (Need of the Country) है।

ये तथ्य बताते हैं कि RSS का प्रभाव और इसका मूल्यांकन हमेशा से ही भारतीय समाज और राजनीति के विभिन्न वर्गों के बीच चर्चा का विषय रहा है।

यह भी पढ़ें

Live Sach – तेज़, भरोसेमंद हिंदी समाचार। आज की राजनीति, राजस्थान से ब्रेकिंग न्यूज़, मनोरंजन, खेल और भारतदुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले आपके मोबाइल पर पढ़ें!

Share This Article
Leave a Comment