आदि कैलाश के सम्मुख RSS शताब्दी वर्ष का भव्य एकत्रीकरण: 19,500 फीट की ऊंचाई पर भगवा ध्वज फहराया गया

Live Sach Profle Photo

धारचूला, उत्तराखंड: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने शताब्दी वर्ष की यात्रा को एक नया और अविस्मरणीय आयाम दिया है। तिब्बत बॉर्डर से सटे हिमालय के पौराणिक तीर्थ स्थल आदि कैलाश पर्वत के सम्मुख, व्यास घाटी में स्थानीय स्वयंसेवकों ने एक विशाल एकत्रीकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है। यह आयोजन न केवल संघ के लिए, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना के लिए भी एक ऐतिहासिक घटना है, जिसने प्रतिकूल मौसम और भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद संगठन के अटूट संकल्प को दर्शाया है।


पौराणिक और भौगोलिक चुनौती का मिलन

यह आयोजन उस क्षेत्र में हुआ जिसकी ऊँचाई 15 से 18 हज़ार फीट (लगभग 5945 मीटर) है, और यह अपनी विषम जलवायु के लिए जाना जाता है।

  • भगवान शिव का निवास: आदि कैलाश पर्वत को स्वयं भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इसी पर्वत के सामने, पार्वती ताल के पास बने प्रांगण में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
  • बर्फबारी और ऑक्सीजन की कमी: कार्यक्रम से ठीक दो दिन पहले ही इस इलाके में भारी हिमपात (snowfall) हुआ था, जिससे बर्फ की सफेद चादर बिछ गई थी। इस ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी (low oxygen) एक गंभीर चुनौती होती है, लेकिन व्यास घाटी के स्वयंसेवकों ने सभी बाधाओं को पार किया।
  • देवभूमि का गौरव: यह क्षेत्र पौराणिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे वेद व्यास ऋषि की भूमि माना जाता है, जहाँ उन्होंने वेदों की रचना की थी। पास के कुटी गांव का नाम पांडवों की माता कुंती के नाम पर पड़ा है।

शताब्दी वर्ष का संकल्प: राष्ट्र के ‘प्रथम गाँवों’ तक पहुँच

इस एकत्रीकरण कार्यक्रम के माध्यम से संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के लक्ष्य को स्पष्ट किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक चंद्रशेखर ने बताया कि संघ के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम केवल बद्री-केदार जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये ‘राष्ट्र के प्रथम गाँवों’ (First villages of the nation) और पौराणिक तीर्थ स्थलों पर भी आयोजित किए जा रहे हैं।

  • एकत्रीकरण का उद्देश्य: व्यास घाटी में रहने वाले जनजाति के लोगों द्वारा यह कार्यक्रम सम्पन्न कर माँ भारती और आराध्य शिव के प्रति अपनी अटूट आस्था प्रकट की गई।
  • राष्ट्रीय भावना: स्थानीय स्वयंसेवकों ने इस स्थान पर परम पूज्य भगवा ध्वज फहराया, संघ प्रार्थना की और ‘हर हर महादेव’ का जयघोष किया। यह राष्ट्रीय भावना को उन दुर्गम क्षेत्रों में भी मजबूती देने का प्रयास है, जो तिब्बत सीमा से लगे हुए हैं।

निष्कर्ष: समर्पण और सांस्कृतिक एकात्मता

आदि कैलाश के सम्मुख हुआ यह चुनौतीपूर्ण एकत्रीकरण यह सिद्ध करता है कि RSS का शताब्दी वर्ष केवल एक समारोह नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना, राष्ट्रभक्ति और कठिन परिस्थितियों में भी संगठनात्मक दृढ़ता को बनाए रखने का एक व्यापक संकल्प है। संघ का उद्देश्य इन आयोजनों के माध्यम से यह संदेश देना है कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत हर सीमा से ऊपर है, और उसे देश के हर कोने में सम्मान और संरक्षण प्राप्त है।

यह भी पढ़ें

Live Sach – तेज़, भरोसेमंद हिंदी समाचार। आज की राजनीति, राजस्थान से ब्रेकिंग न्यूज़, मनोरंजन, खेल और भारतदुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले आपके मोबाइल पर पढ़ें!

Share This Article
Leave a Comment