दीपावली का पर्व माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सबसे बड़ा और शुभ अवसर होता है। 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से किया गया पूजन घर में सुख, समृद्धि और स्थायी धन-वैभव का आशीर्वाद लेकर आता है। आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजन की सरल और संपूर्ण विधि।
1. पूजन सामग्री की सूची (Puja Samagri)
पूजन आरंभ करने से पहले सभी आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लें:
- देवी-देवताओं की प्रतिमा/चित्र: माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी सरस्वती की मूर्ति या चित्र।
- पूजा की चौकी और वस्त्र: एक लकड़ी की चौकी, उस पर बिछाने के लिए लाल या पीला वस्त्र।
- कलश स्थापना हेतु: एक कलश (तांबे या मिट्टी का), जल, आम के पत्ते (5), साबुत सुपारी, हल्दी की गांठ, सिक्का, अक्षत (साबुत चावल), और कलश पर रखने के लिए नारियल (लाल कपड़े में लिपटा हुआ)।
- पूजन सामग्री: रोली/कुमकुम, अक्षत, कलावा (मौली), हल्दी, चंदन, सिंदूर, कपूर, अगरबत्ती, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक।
- श्रृंगार सामग्री: माँ लक्ष्मी के लिए नई साड़ी या चुनरी, सिंदूर, और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं।
- पुष्प: कमल का फूल (अतिशुभ), गेंदे के फूल, गुलाब और फूलों की माला।
- नैवेद्य (भोग): मिठाइयां (विशेषकर केसरिया), बताशे, खीर, पांच प्रकार के फल, सिंघाड़ा, गन्ना।
- अन्य वस्तुएं: पान का पत्ता, साबुत सुपारी, लौंग, इलायची, बही-खाता/तिजोरी, सोने-चांदी के सिक्के, दक्षिणा।
2. पूजन की तैयारी एवं स्थापना
- स्वच्छता: पूजन स्थल को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
- चौकी स्थापना: ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में एक चौकी रखें और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- अनाज का ढेर: चौकी के बीच में अक्षत या गेहूं का एक छोटा ढेर बनाएं।
- कलश स्थापना: इस ढेर पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश में सुपारी, हल्दी, फूल, सिक्का और अक्षत डालें। कलश पर आम के पांच पत्ते रखें और उसके ऊपर लाल कपड़े में लिपटा नारियल स्थापित करें।
- मूर्ति स्थापना: चौकी पर, कलश के दाहिनी ओर (अपने देखने की दिशा से) भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। मध्य में माँ लक्ष्मी की मूर्ति इस प्रकार स्थापित करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रहे। माँ लक्ष्मी के बाईं ओर देवी सरस्वती का चित्र या मूर्ति रखें। यदि कुबेर जी की मूर्ति है तो उसे भी स्थापित करें।
- दीपक प्रज्ज्वलन: एक घी का दीपक (भगवान के दाहिनी ओर) और एक तेल का बड़ा दीपक जलाकर रखें जो रात भर जलता रहे।
3. संपूर्ण लक्ष्मी पूजन विधि (Step-by-Step Guide)
- पवित्रीकरण: हाथ में जल लेकर ‘ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः’ कहते हुए आचमन करें। फिर हाथ धोकर अपने और पूजन सामग्री पर जल छिड़कें।
- संकल्प: हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर पूजन का संकल्प लें। कहें, “हे माँ लक्ष्मी, मैं (अपना नाम और गोत्र बोलें) आज दीपावली के शुभ अवसर पर आपकी कृपा प्राप्ति हेतु इस लक्ष्मी-गणेश पूजन को करने का संकल्प लेता/लेती हूँ। आप मेरी पूजा स्वीकार करें।”
- गणेश पूजन: किसी भी पूजा का आरंभ गणेश पूजन से होता है। भगवान गणेश को तिलक लगाएं, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, जनेऊ और मोदक अर्पित करें। धूप-दीप दिखाकर उनकी आरती करें।
- कलश पूजन: कलश पर तिलक लगाएं, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित कर वरुण देव का ध्यान करें।
- लक्ष्मी पूजन:
- ध्यान और आवाहन: माँ लक्ष्मी का ध्यान करें और हाथ जोड़कर उनका आवाहन करें, “हे माँ लक्ष्मी, आप इस पूजा में पधारें और मेरा निवेदन स्वीकार करें।”
- स्नान: मूर्ति को पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से और फिर पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं। चित्र है तो भाव-स्नान कराएं और जल के छींटे दें।
- वस्त्र अर्पण: माँ को नई चुनरी या कलावा रूपी वस्त्र अर्पित करें।
- श्रृंगार: माँ को कुमकुम, हल्दी, चंदन का तिलक लगाएं। सिंदूर और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
- अक्षत, पुष्प और माला: माँ को अक्षत (चावल) और कमल, गुलाब, गेंदे के फूल व माला अर्पित करें।
- अंग पूजा: “ॐ चपलायै नमः” कहते हुए चरण, “ॐ चंचलायै नमः” कहते हुए जंघा, “ॐ कमलायै नमः” कहते हुए कटि, और “ॐ कात्यायन्यै नमः” कहते हुए नाभि की पूजा करें।
- धूप-दीप: माँ को धूप और घी का दीपक दिखाएं।
- नैवेद्य: मिठाइयों, फलों और अन्य भोग की वस्तुओं का नैवेद्य लगाएं।
- सरस्वती एवं कुबेर पूजन: माँ लक्ष्मी के साथ-साथ देवी सरस्वती और भगवान कुबेर का भी इसी प्रकार पूजन करें।
- तिजोरी/बही-खाता पूजन: अपनी तिजोरी, व्यापारिक बही-खाते या लैपटॉप पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और उन पर पुष्प, अक्षत अर्पित कर समृद्धि की कामना करें।
- आरती: कपूर जलाकर या दीपक से पहले गणेश जी की और फिर माँ लक्ष्मी की आरती (ॐ जय लक्ष्मी माता…) श्रद्धापूर्वक गाएं। शंख और घंटी बजाएं।
- मंत्र पुष्पांजलि एवं क्षमा प्रार्थना: आरती के बाद हाथों में पुष्प लेकर मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें और पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
4. प्रमुख लक्ष्मी मंत्र (Powerful Lakshmi Mantras)
पूजन के दौरान या बाद में इन मंत्रों का 108 बार (एक माला) जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।
- महालक्ष्मी बीज मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- (यह मंत्र धन, वैभव और ऐश्वर्य प्रदान करने में सबसे शक्तिशाली माना जाता है।)
- सरल लक्ष्मी मंत्र:
ॐ महालक्ष्म्यै नमः
- (यह सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है।)
- सौभाग्य प्राप्ति मंत्र:
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्म्यै महालक्ष्म्यै एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
5. पूजन में बरतें ये महत्वपूर्ण सावधानियां
- स्वच्छता: पूजन स्थल और स्वयं की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा न करें।
- तुलसी: भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है, लेकिन माँ लक्ष्मी की पूजा में तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- अक्षत: अक्षत का अर्थ है ‘अखंडित’। पूजा में केवल साबुत चावल का ही प्रयोग करें, टूटे हुए चावल का नहीं।
- दिशा: पूजन करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- शोर-शराबा: पूजा के दौरान शांत और भक्तिमय वातावरण बनाए रखें। जोर-जोर से चिल्लाएं या क्रोध न करें।
- दीपक की दिशा: घी का दीपक देवता के दाहिनी ओर और तेल का दीपक बाईं ओर रखना चाहिए।
- प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद सभी में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
इस विधि और श्रद्धा के साथ किया गया लक्ष्मी पूजन आपके जीवन में निश्चित रूप से सुख, शांति और समृद्धि लाएगा। शुभ दीपावली!