चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में चंबल नदी (Chambal River) पर स्थित राणा प्रताप सागर बांध (Rana Pratap Sagar Dam) सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है। यह बांध अपनी विशालता, बहुउद्देशीय उपयोगिता और क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। आइए, जानते हैं राणा प्रताप सागर बांध की कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में।
राजस्थान का सबसे बड़ा और लंबा बांध: राणा प्रताप सागर बांध राजस्थान राज्य का सबसे अधिक क्षमता वाला (Highest Capacity Dam) और सबसे लंबा बांध (Longest Dam) है, जिसकी लंबाई लगभग 1100 मीटर है। इसका निर्माण 1970 के दशक में चंबल घाटी परियोजना (Chambal Valley Project) के दूसरे चरण के तहत किया गया था, जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 9 फरवरी 1970 को किया था। यह बांध गांधी सागर बांध से 48 किलोमीटर नीचे और जवाहर सागर बांध से 28 किलोमीटर ऊपर स्थित है, जो चंबल नदी पर बने बांधों की एक श्रृंखला का हिस्सा है।

विद्युत उत्पादन का केंद्र: यह बांध जलविद्युत उत्पादन (Hydroelectric Power Generation) का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यहाँ 43 मेगावाट की चार विद्युत इकाइयाँ (Power Units) स्थापित हैं, जिनकी कुल क्षमता 172 मेगावाट है। यह बिजली उत्पादन संयंत्र राजस्थान की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। बांध के कारण ही रावतभाटा (Rawatbhata) भारत का सबसे बड़ा न्यूक्लियर एनर्जी पार्क (Nuclear Energy Park) बन सका।
सिंचाई और जल आपूर्ति: राणा प्रताप सागर बांध से निकलने वाला पानी कोटा और बूंदी जिलों सहित आसपास के बड़े कृषि क्षेत्रों में सिंचाई (Irrigation) के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी विशाल जल भराव क्षमता (Water Storage Capacity) 2.89 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक है, जिससे सूखे के समय भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। यह बांध राजस्थान में पीने के पानी (Drinking Water) की आपूर्ति में भी अहम भूमिका निभाता है।
पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य: अपनी विशालता और प्राकृतिक सुंदरता के कारण राणा प्रताप सागर बांध एक प्रमुख पर्यटन स्थल (Tourist Destination) भी है। बांध के आसपास का शांत वातावरण और चंबल नदी का विहंगम दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां अक्सर लोग पिकनिक (Picnic Spot) और प्रकृति का आनंद लेने आते हैं। हालांकि, बांध पर सुरक्षा कारणों से फोटोग्राफी या रुकने की अनुमति नहीं होती है। यह स्थान पक्षी प्रेमियों (Birdwatching) के लिए भी पसंदीदा है, क्योंकि यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी (Migratory Birds) देखे जा सकते हैं। पास में ही भैंसरोड़गढ़ किला (Bhainsrorgarh Fort) और चूलिया प्रपात (Chulia Waterfall) जैसे अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं।

परिस्थिति तंत्र में योगदान: राणा प्रताप सागर बांध द्वारा निर्मित जलाशय, जिसे राणा प्रताप सागर झील (Rana Pratap Sagar Lake) के नाम से भी जाना जाता है, विभिन्न जलीय प्रजातियों (Aquatic Species) और वन्यजीवों (Wildlife) के लिए एक महत्वपूर्ण आवास बन गया है। यह क्षेत्र घड़ियालों (Gharials) सहित कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में भी मदद करता है, जिससे इसका पारिस्थितिक महत्व (Ecological Importance) और बढ़ जाता है।