नई दिल्ली, 21 अगस्त 2024। वर्ष 1992 में अजमेर में “खादिमों” और पूर्व कांग्रेस नेता नफीस चिश्ती द्वारा सैकड़ों हिन्दू लड़कियों का शोषण और क्रूर गैंगरेप किया गया था। इस भयावह घटना के 32 वर्षों बाद, अजमेर में POCSO कोर्ट ने इस मामले में नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ़ टार्ज़न, सलीम चिश्ती, सुहैल गनी और सैयद जमीम हुसैन को दोषी ठहराते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा की विश्व हिन्दू परिषद अजमेर रेप कांड में आए इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए मांग करती है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी अपराधियों को सिर्फ कारावास नहीं अपितु, फांसी दी जाएI
यह कैसा दुर्भाग्य है कि सौ से अधिक पीड़ित बच्चियों को न्याय की मांग हेतु अनेकों बाधाओं का सामना करते हुए 32 वर्ष प्रतीक्षा करनी पड़ी। इस न्याय की यात्रा ने विभिन्न अदालतों (हाई कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, और POCSO कोर्ट) में कई मोड़ लिए, लेकिन अंततः सत्य की विजय हुई, और हमारी हिन्दू बेटियों के साथ की गई क्रूरता की अत्याचारियों को सज़ा तो मिली किन्तु अभी यह अधूरी है। फांसी जरूरी है।
डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि अब समय आ गया है कि अजमेर दरगाह शरीफ का काला इतिहास भी सबके सामने आए। यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि सलमान चिश्ती भी केवल शरीयत और अपने गुरु मोइनुद्दीन चिश्ती की शिक्षाओं का ही पालन कर रहे थे, जिनकी दरगाह पर वे ‘खादिम’ के रूप में कार्य करते थे। उन्होंने हिन्दुओं के विरुद्ध कई अत्याचार किए और विभिन्न हिन्दू मंदिरों को तोड़ दिया, जो हिन्दुओं के लिए अस्मिता का प्रतीक थे। यह भी एक स्थापित तथ्य है कि कई बलात्कारी कॉंग्रेस के पदाधिकारी भी रहे हैं। जिहादियों व कॉंग्रेस का चोली-दमन का संबंध है।
डॉ. सुरेंद्र जैन ने यह भी कहा है कि अजमेर दरगाह शरीफ हिन्दुओं की क्रूर हत्याओं और अत्याचारों का प्रतीक है। डॉ. सुरेंद्र जैन ने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व हिन्दू परिषद ने समय-समय पर हिन्दुओं से अपील की है कि वे दरगाह शरीफ न जाएं क्योंकि उनका पैसा खादिमों द्वारा अवैध उद्देश्यों के लिए प्रयोग किया जा रहा है और अजमेर बलात्कार मामला इसका स्पष्ट उदाहरण हैI यहाँ यह भी स्मरणीय है कि वहाँ के एक चिश्ती ने तो हिन्दुओं के आर्थिक बहिष्कार की बात भी की थी।
यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि खादिम परिवार अतीत में भी विवादों में रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हिन्दू दर्जी कन्हैया लाल की निर्मम हत्या के बाद, अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती ने इस घटना के एक आरोपी रियाज अंसारी से मुलाकात की थी। यह भी महत्वपूर्ण है कि अजमेर दरगाह की अंजुमन समिति के सरवर चिश्ती ने उग्र बयान देकर हिंसा को बढ़ावा दिया और पूरे देश को “हिलाने” की धमकी दी। रिपोर्टों के अनुसार, सरवर चिश्ती ने स्वयं को प्रतिबंधित संगठन (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) का सदस्य बताया था और अजमेर दरगाह से हिन्दुओं के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया था। हिन्दुओं के प्रति घृणा जारी रखते हुए, सरवर चिश्ती के बेटे सैयद अली चिश्ती और आदिल चिश्ती ने हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान किया और गौहर चिश्ती ने “सिर तन से जुदा” का नारा देकर हिन्दुओं को धमकी दी। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अजमेर शरीफ दरगाह के खादिमों के संगठन अंजुमन सैयद ज़ादगान के सचिव चिश्ती ने हमारी बेटियों के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था।
डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद समय-समय पर देश को हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न के बारे में सचेत करती रही है, चाहे वह भारत की भूमि पर हो या विदेशों में। जिन छह दोषियों को हमारी हिन्दू बेटियों के विरुद्ध इस जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, उनकी सजा एक आशा की किरण है तथा हमें विश्वास है कि दोषियों को सिर्फ कारावास नहीं अपितु मृत्यु दंड मिलेगा। विश्व हिन्दू परिषद POCSO कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए पीड़ित परिवारों के साथ मजबूती से खड़ा है।