वायरल ‘हीरो हैकर’ हमजा बेंदलादज की कहानी का सच: क्या वाकई 217 बैंक हैक कर गरीबों को बांटे थे अरबों डॉलर?

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पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक नाम खूब चर्चा में है – हमजा बेंदलादज (Hamza Bendelladj)। शायद आपने भी उनकी तस्वीर के साथ एक भावुक पोस्ट देखी होगी, जिसमें उन्हें एक ऐसे ‘हीरो हैकर’ के रूप में महिमामंडित किया गया है, जिसने अमीरों से लूटा और गरीबों को बांटा। इन पोस्ट्स में दावा किया जाता है कि हमजा ने 217 बैंकों को हैक करके 4000 मिलियन डॉलर (लगभग 4 अरब डॉलर) की भारी-भरकम राशि अफ्रीका और फिलिस्तीन के गरीबों में बांट दी थी। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपनी मौत की सज़ा को भी मुस्कुराते हुए स्वीकार किया था।

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लेकिन, क्या सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह कहानी उतनी ही सच्ची है, जितनी लगती है? आइए, हम इस ‘वीर गाथा’ के पीछे के वास्तविक तथ्यों की पड़ताल करते हैं।


सोशल मीडिया का दावा: एक ‘हीरो हैकर’ की मनगढ़ंत कहानी

सोशल मीडिया पर हमजा बेंदलादज को ‘रॉबिन हुड ऑफ साइबर वर्ल्ड’ की तरह पेश किया जाता है। पोस्ट में उनकी मुस्कराती हुई तस्वीर अक्सर इस्तेमाल की जाती है और दावा किया जाता है कि उन्होंने अमेरिकी कोर्ट में अपने अंतिम क्षणों में भी मुस्कान नहीं छोड़ी। यह कहानी लाखों लोगों को भावुक करती है और उन्हें एक ऐसे नायक के रूप में देखने के लिए मजबूर करती है, जिसने व्यवस्था के खिलाफ जाकर पीड़ितों की मदद की।


तथ्य क्या कहते हैं: ‘मौत की सज़ा’ एक झूठ, ‘गरीबों को दान’ अप्रमाणित

वास्तविकता, हालांकि, वायरल पोस्ट से काफी अलग है:

  1. फांसी की सज़ा नहीं, जेल की सज़ा: हमजा बेंदलादज को कभी भी फांसी की सज़ा नहीं सुनाई गई। अमेरिकी कानून के तहत भी साइबर अपराधों के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है। उन्हें ‘स्पाईआई’ (SpyEye) नामक मैलवेयर बनाने और वितरित करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, जिसके माध्यम से उन्होंने और उनके साथियों ने करोड़ों डॉलर की वित्तीय धोखाधड़ी की थी। अमेरिकी कोर्ट ने उन्हें 15 साल की कैद की सज़ा सुनाई है। उन्हें 2013 में थाईलैंड में गिरफ्तार किया गया था और 2016 में यह सज़ा सुनाई गई थी। अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों जैसे बीबीसी (BBC), अल जज़ीरा (Al Jazeera) और फैक्ट-चेकिंग वेबसाइटों ने इस दावे का खंडन किया है।
  2. धन गरीबों को बांटा? कोई सबूत नहीं: सोशल मीडिया का यह दावा कि उन्होंने 217 बैंकों से 4 अरब डॉलर चुराकर गरीबों में बांटे, पूरी तरह से अप्रमाणित है। अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों या किसी भी विश्वसनीय जाँच में ऐसे किसी भी बड़े दान का कोई उल्लेख नहीं है। थाई पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के समय कहा था कि उन्होंने हैक किए गए पैसों का इस्तेमाल ‘शानदार जीवनशैली’ और यात्राओं पर किया था। कुछ ऑनलाइन रिपोर्ट्स में फिलिस्तीनी चैरिटी को लाखों डॉलर दान करने की बात कही गई थी, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
  3. ‘मुस्कुराता हैकर’: तस्वीर का गलत अर्थ: उन्हें “स्माइलिंग हैकर” (Smiling Hacker) का उपनाम ज़रूर मिला, लेकिन यह उनकी मौत की सज़ा को मुस्कुराते हुए स्वीकार करने के कारण नहीं था। बल्कि, थाईलैंड में गिरफ्तारी के बाद जब उन्हें मीडिया के सामने पेश किया गया, तो उनकी कई तस्वीरें मुस्कुराते हुए आईं, जिससे उन्हें यह नाम मिला। उनकी मुस्कान के पीछे का असली कारण अज्ञात है, लेकिन इसका मौत की सज़ा से कोई लेना-देना नहीं था।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर ‘हीरो हैकर’ हमजा बेंदलादज के बारे में प्रसारित हो रही कहानी एक कल्पना मात्र है, जिसे सनसनीखेज बनाने के लिए गढ़ा गया है। तथ्य बताते हैं कि उन्हें मौत की सज़ा नहीं मिली और न ही उन्होंने बड़ी रकम गरीबों में बांटी थी। यह पोस्ट ऑनलाइन फैलाई जाने वाली गलत सूचनाओं (Misinformation) का एक क्लासिक उदाहरण है, जहाँ एक साधारण तस्वीर और कुछ मनगढ़ंत दावे मिलकर एक वायरल झूठ को जन्म देते हैं।

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