नशे के जाल में तेजी से फंस रहे राजस्थान के युवा, इस मंदिर में छुडवाएं नशे की लत…

क्या सचमुच युवाओं में दोस्तों व साथियों के बीच नशा करना स्टेटस सिंबल बन गया है? यदि हां तो यह स्थिति चिंताजनक है। जो उम्र भविष्य बनाने, करियर पर ध्यान देने की होती है, उसमें युवा एक दूसरे पर झूठी शान मारने के लिए नशे के आदी होते जा रहे हैं। हाल ही 23 मई को राजस्थान के जोधपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो(एनसीबी)ने ‘ऑपरेशन शंकर’ नामक अभियान चलाकर 850 किलो गांजा बरामद किया है। दरअसल, ब्यूरो को सूचना मिली थी कि जोधपुर के हुक्का बार व उच्च शिक्षण संस्थानों के आस—पास गांजे की खपत हो रही है। बरामद किए गए गांजे की कीमत लगभग चार करोड़ तीस लाख रुपए है।

एनसीबी के संयुक्त निदेशक घनश्याम सोनी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व जयपुर में 35 किलो गांजा बरामद किया गया था। वहीं पर गिरफ्तार आरोपी ने बताया कि जोधपुर में गांजे की बड़ी खेप आने वाली है। इसी आधार पर हमने जोधपुर में ऑपरेशन शंकर चलाया। पुलिस ने कुछ दिन पूर्व ही यहां एक हुक्का बार बंद करवाया था। इसी से सतर्क हुई एनसीबी ने यहां गांजा सप्लाई करने वालों की धरपकड़ के लिए कार्रवाई की।
उक्त मामला तो मात्र एक उदाहरण है राजस्थान में पिछले कई वर्षों से युवाओं और तो और स्कूली छात्रों को नशीला पदार्थ बेचकर उन्हें इसका आदी बनाने की खबरें आती रही हैं। आखिर कौन हैं वे दुराचारी जो देश की भावी पीढ़ी को इस नरक में धकेल रहे हैं और किस—किस जगह से कौन—कौन सा नशा इन छात्रों को सप्लाई किया जाता है?

ओडिशा से आया गांजा, रास्ते में बदले वाहन

उड़ीसा और आंध्रप्रदेश की सीमा पर स्थित सिलेरु कस्बे से राजस्थान में गांजा आता है। जोधपुर में पकड़ा गया गांजा भी यहीं से आया। जोधपुर पहुंचने तक रास्ते में कई स्थानों पर वाहन बदले गए। एनसीबी अब इस चेन को तोड़ने का प्रयास कर रही है। नागौर रोड पर भी ब्यूरो नजर बनाए हुए है।

जयपुर सहित पूरे राजस्थान में पसरा नशे का जाल

पिछले तीन-चार वर्षों में ऐसी जानकारी भी मिली कि नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में लिप्त तस्कर राजस्थान के युवाओं को नशे की लत लगाकार अपना शिकार बना रहे हैं। सवाई माधोपुर जिले में मध्यप्रदेश से नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं। जिले के पालीघाट के पास मध्यप्रदेश की सीमा लगती है। यहीं से नशीले पदार्थों की आपूर्ति राजस्थान में की जा रही थी। उदयपुर में भी नशाखोरी के बहुत से मामले सामने आए हैं। वर्ष 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक यहां नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार के 2945 मामले दर्ज हुए। इनमें तीन हजार से अधिक आरोपी गिरफ्तार हुए। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नशे को ‘आधुनिकता की अंधी दौड़ का फैशन’ मानने वाले युवाओं के लिए गिरफ्तारी कोई अफसोस की बात नहीं रही। अब तो एमडी स्मैक पकड़े जाने पर गिरफ्तार हुआ आरोपी जब जमानत पर छूटता है तो उसके साथी सोशल मीडिया पर स्टेटस लगाते हैं ‘मेरा यार जमानत पे आया’। यानि इनके लिए जमानत पर बाहर आना जैसे कोई बहुत अच्छा काम हो। शिक्षा नगरी कोटा और सीकर में भी मादक पदार्थों की तस्करी के मामले दर्ज हुए। इनमें कोटा में 392 तथा शेखावाटी के सीकर,चूरू और झुंझनूं में 235 मामले शामिल हैं।

गत वर्ष ही टिब्बी-हनुमानगढ़ से प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया कि इस गांव का हर घर नशे की गिरफ्त में है। पंजाब-हरियाणा की सीमा से सटे इस जिले में मादक पदार्थ तस्करों का आसान शिकार बन चुके युवा अपराध की राह पर निकल पड़े हैं। चोरी, चेन स्नैचिंग, डकैती व घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।

जयपुर में भी नशे की लत ने बनाया अपराधी

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर में नशे की लत के चलते नशा खरीदने के लिए आपराधिक कृत्यों की घटनाएं सामने आईं, जैसे गत वर्ष ब्रह्मपुरी थाना पुलिस ने बास बदनपुरा निवासी शाकिर और गलता गेट निवासी कयामुद्दीन को ई-रिक्शा चुराने के आरोप में पकड़ा। पूछताछ में सामने आया कि ये दोनों अपनी नशे की लत पूरी करने के लिए बाजारों में खड़े ई-रिक्शा चुरा कर उन्हें बेच देते हैं और उससे मिले पैसे से नशा करते हैं। ऐसे ही कुछ और भी मामले सामने आए, जिनमें नशे की लत पूरी करने के लिए आरोपियों ने दुपहिया व चौपहिया वाहन चुराए।

राजस्थान में एमडी व स्मैक के आदी बढ़े

गत माह आई एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में स्मैक व एमडी ड्रग्स के सेवन के मामले बढ़े हैं। नागौर और आस-पास के गांवों में भी एमडी और स्मैक का नशा करने वाले युवा पकड़े गए। इसी प्रकार करौली में भी स्मैक और अफीम की आपूर्ति का मामला सामने आया है। जब तक छोटे-छोटे कस्बों, जिलों से लेकर मुख्य शहरों में ‘चुपचाप’ नशे का सामान पहुंचाने वाले तस्करों को पकड़ कर उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती, नशे का यह जंजाल युवाओं को अपनी गिरफ्त में लेता रहेगा।

नशा छुड़वाने वाला मंदिर

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में एक मंदिर है-आईजी माता का मंदिर। शहर के धोबी चौक स्थित इस मंदिर में आकर लोग भादवा बीज के दिन नशा मुक्ति की शपथ लेते हैं। मंदिर में 65 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। अब तक 3000 लोग नशे की लत को छोड़ चुके हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्रतिवर्ष अहमदाबाद, बड़ौदा, सूरत, चित्तौड़, भीलवाड़ा, मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच, रतलाम जावरा के लोग बड़ी संख्या में यहां आते हैं और नशामुक्ति की शपथ लेते हैं।

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