Kshetra Pracharak Rajasthan Nimbaram Ji Biography: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के समर्पित प्रचारक, निम्बाराम जी, राजस्थान के संगठनात्मक परिदृश्य में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। प्रचारक के रूप में, उन्होंने अपना जीवन पूर्णकालिक रूप से संघ के कार्यों के लिए समर्पित किया है, जो त्याग और समर्पण की भावना को दर्शाता है। निम्बाराम जी मूल रूप से पश्चिमी राजस्थान के लोहावट के ढेलाणा गांव के निवासी हैं । यह स्थानीय पृष्ठभूमि उन्हें राजस्थान जैसे विशाल और सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जटिलताओं की गहरी समझ प्रदान करती है, जो उन्हें क्षेत्रीय प्रचारक के उच्च संगठनात्मक दायित्व के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है।
प्रारंभिक संगठनात्मक दायित्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उच्च क्षेत्रीय जिम्मेदारी संभालने से पहले, निम्बाराम जी ने प्रांत प्रचारक के रूप में कार्य किया है । प्रांत प्रचारक का पद किसी राज्य या बड़ी भौगोलिक इकाई में संघ के कार्यों के प्रबंधन और विस्तार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह भूमिका उन्हें क्षेत्रीय प्रशासनिक चुनौतियों और कार्यकर्ता विकास की गहन समझ प्रदान करती है।

सह क्षेत्रीय प्रचारक से क्षेत्रीय प्रचारक तक की यात्रा
क्षेत्रीय प्रचारक की जिम्मेदारी संभालने से पूर्व, निम्बाराम जी राजस्थान क्षेत्र के सह क्षेत्रीय प्रचारक (Deputy Regional Pracharak) के रूप में कार्यरत थे । मार्च 2020 में, उन्हें पदोन्नत कर राजस्थान क्षेत्र का क्षेत्रीय प्रचारक (Kshetra Pracharak) बनाया गया । यह पदोन्नति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की कार्यकारी मंडल की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण संगठनात्मक निर्णयों का हिस्सा थी, जिसका नेतृत्व उस समय सरकार्यवाह भैया जी जोशी कर रहे थे ।
इस दायित्व परिवर्तन के साथ ही, पूर्व क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी को अखिल भारतीय कार्यकारिणी में सदस्य बनाया गया और उन्हें समाज की मुख्यधारा से दूर रहे घुमंतू परिवारों की जिम्मेदारी सौंपी गई । यह बदलाव केवल व्यक्तिगत पदोन्नति नहीं, बल्कि राजस्थान क्षेत्र में एक बड़ा संगठनात्मक और रणनीतिक पुनर्गठन था। पूर्व प्रचारक दुर्गादास जी को अखिल भारतीय स्तर पर एक विशिष्ट सामाजिक कार्य में लगाना और निम्बाराम जी को क्षेत्रीय संगठनात्मक कमान सौंपना यह दर्शाता है कि संघ ने राजस्थान में अपने मुख्य संगठनात्मक विस्तार और राजनीतिक समन्वय की जिम्मेदारी निम्बाराम जी को दी, जो संगठन की तात्कालिक और दीर्घकालिक आवश्यकताओं के अनुरूप नेतृत्व को गतिशील रूप से तैनात करने की संघ की रणनीति का हिस्सा है।
क्षेत्रीय प्रचारक का महत्व
क्षेत्रीय प्रचारक का पद राजस्थान जैसे बड़े और संवेदनशील राज्य में संघ का सर्वोच्च संगठनात्मक दायित्व होता है। यह पद संघ के विभिन्न प्रांतों (जैसे जयपुर और जोधपुर) और संघ परिवार के सभी अनुषांगिक संगठनों (Affiliates) के कार्यों का समन्वय करता है। यह पद राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में संघ की वैचारिक पहुंच और प्रभाव को सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
गणवेश परिवर्तन (यूनिफॉर्म चेंज) में योगदान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 2016 में अपनी पहचान का सबसे बड़ा बाहरी परिवर्तन किया, जिसमें दशकों से चली आ रही खाकी निकर (हाफ पैंट) को गहरे भूरे रंग की फुल पैंट से बदल दिया गया । निम्बाराम जी ने इस ऐतिहासिक परिवर्तन में प्रमुख योगदान दिया । इस बदलाव के ट्रायल के दौरान, जो नागौर में हुई संघ की बैठक में किया गया था, निम्बाराम जी उन कार्यकर्ताओं में शामिल थे, जिन्हें नई पैंट पहनाकर ट्रायल में सम्मिलित किया गया था ।
गणवेश परिवर्तन में उनकी यह भागीदारी यह दर्शाती है कि संगठन उन्हें केवल क्षेत्रीय प्रशासक के रूप में नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण, दूरदर्शी संगठनात्मक निर्णयों को लागू करने वाले एक विश्वसनीय और प्रगतिशील चेहरे के रूप में देखता है। यह भूमिका यह संकेत देती है कि निम्बाराम जी संघ की आधुनिक छवि का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे उन्हें राजस्थान जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में भी बड़े संगठनात्मक परिवर्तनों को प्रभावी ढंग से लागू करने की क्षमता मिलती है। चूंकि गणवेश परिवर्तन एक संवेदनशील विषय था जो संघ की 90 साल पुरानी पहचान से जुड़ा था, इस जिम्मेदारी को निभाने वाले प्रचारकों को संगठन के भीतर परिवर्तन को सफलतापूर्वक संभालने में सक्षम माना जाता है।

सामाजिक आउटरीच: घुमंतू परिवार कार्य
क्षेत्रीय प्रचारक के रूप में, निम्बाराम जी ने संघ के प्रयासों को समाज की मुख्यधारा से दूर रहे घुमंतू (Nomadic) परिवारों की ओर मोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । यह जिम्मेदारी संघ के व्यापक सामाजिक इंजीनियरिंग एजेंडे के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य सामाजिक समरसता स्थापित करना और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े समुदायों का उत्थान करना है।
उनके नेतृत्व में, राजस्थान में घुमंतू समुदाय के उत्थान और सामाजिक-आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ‘घुमंतू महोत्सव’ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में आयोजित घुमंतू महोत्सव में उन्होंने राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के साथ शिरकत की । घुमंतू परिवारों पर विशेष ध्यान देना यह प्रदर्शित करता है कि उनका नेतृत्व केवल राजनीतिक समन्वय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी वैचारिक विस्तार और सामाजिक दायित्व की पूर्ति पर केंद्रित है।
क्षेत्रीय समन्वय और राजनीतिक-सामाजिक संवाद
एक क्षेत्रीय प्रचारक होने के नाते, निम्बाराम जी का मुख्य कार्य संघ परिवार के विभिन्न अनुषांगिक संगठनों और राज्य के प्रमुख सामाजिक समूहों के बीच समन्वय स्थापित करना होता है।
सार्वजनिक चर्चाएं: बीवीजी (BVG) रिश्वत प्रकरण का विस्तृत विश्लेषण
निम्बाराम जी का सार्वजनिक जीवन जयपुर ग्रेटर नगर निगम के सफाई ठेका कम्पनी बीवीजी (BVG) रिश्वत प्रकरण से जुड़े आरोपों के कारण सबसे अधिक चर्चा में रहा। यह प्रकरण उनकी प्रतिष्ठा और संघ की छवि के लिए एक बड़ा संकट था।
प्रकरण की पृष्ठभूमि और आरोप
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस घूसकांड में संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम जी को आरोपी बनाया । प्रकरण में ₹20 करोड़ की रिश्वत की मांग की गई थी । इस मामले ने संघ प्रचारकों की ‘साफ छवि’ और ‘पूर्णकालिक समर्पण’ की संस्थागत धारणा पर प्रश्नचिन्ह लगाया, जिससे संघ भी शर्मिंदा हुआ ।
एसीबी की कार्रवाई और पूछताछ
एसीबी ने इस प्रकरण में निम्बाराम जी को एफआईआर में नामजद किया था और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया । एसीबी ने लगभग तीन घंटे तक गहन पूछताछ की, जिसमें 100 से 150 सवाल पूछे गए । एसीबी की कार्रवाई का आधार वायरल हुए ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग थे, जिनमें बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत दर्ज थी ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आधिकारिक पक्ष और बचाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तत्काल एक विस्तृत बयान जारी कर अपने वरिष्ठ पदाधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों की आलोचना की । संघ ने स्पष्ट किया कि निम्बाराम जी से कंपनी के प्रतिनिधियों की भेंट या बातचीत ‘सामान्य सामाजिक शिष्टाचार’ के नाते ही थी ।
संघ के अनुसार, कंपनी के प्रतिनिधि प्रताप गौरव केंद्र, उदयपुर के लिए अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड द्वारा सहयोग करने का प्रस्ताव लेकर आए थे । निम्बाराम जी ने उनसे इस ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ का दौरा करने और इसकी आवश्यकताओं को समझकर सहयोग करने का आग्रह किया था। संघ ने दृढ़ता से कहा कि इस मामले में किसी प्रकार की राशि का कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ है । संघ द्वारा प्रताप गौरव केंद्र को बचाव के केंद्रीय बिंदु के रूप में प्रस्तुत करना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था। राष्ट्रीय गौरव से जुड़े इस प्रोजेक्ट का उल्लेख करके, संघ ने कथा को निजी भ्रष्टाचार से हटाकर राष्ट्रवाद और धर्मार्थ कार्य के क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया, जिससे भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता कम हो गई। संगठन ने आरोपों को ‘वैचारिक द्वेष एवं दुर्भावना’ से प्रतिष्ठित व्यक्ति के ‘चरित्र हनन’ के समान बताया ।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया। तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा ने संघ के प्रचारक पर आरोप लगाने के लिए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में निम्बाराम जी के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने को ‘दुर्भाग्यपूर्ण, असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक’ बताते हुए इसे जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश करार दिया । इस घूस कांड ने कांग्रेस को भाजपा और आरएसएस को घेरने का पूरा मौका प्रदान किया ।
न्यायिक निष्कर्ष और सार्वजनिक छवि का पुनर्स्थापन
एक विशेषज्ञ रिपोर्ट के लिए किसी भी विवाद पर अंतिम कानूनी परिणाम निर्णायक होता है।
राजस्थान उच्च न्यायालय का निर्णय
लंबे कानूनी संघर्ष के बाद, निम्बाराम जी को इस विवाद से औपचारिक रूप से राहत मिली। राजस्थान उच्च न्यायालय ने बीवीजी रिश्वतकांड मामले में एसीबी को निम्बाराम जी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया ।
सार्वजनिक प्रतिष्ठा का पुनर्स्थापन
यालय के इस निर्णय को संघ प्रचारक निम्बाराम जी के लिए एक ‘बड़ी जीत’ और ‘क्लीन चिट’ के रूप में देखा गया । एफआईआर रद्द होने से यह सिद्ध हुआ कि राजनीतिक निहित स्वार्थों द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने के संघ के आरोप सही थे । न्यायिक प्रक्रिया द्वारा आरोपों का निवारण होना उनकी सार्वजनिक प्रतिष्ठा पर लगे लांछनों को औपचारिक रूप से हटाता है। कानूनी प्रक्रिया द्वारा सत्यनिष्ठा बहाल होना यह स्थापित करता है कि वह कानून का पालन करने वाले एक जिम्मेदार नागरिक थे, जैसा कि संघ ने जोर दिया था । यह घटना भविष्य में संघ के पदाधिकारियों पर होने वाले ऐसे ही राजनीतिक हमलों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी उदाहरण (Precedent) के रूप में कार्य करती है, और संगठन की आंतरिक अखंडता को बनाए रखने में सहायक है।
वर्तमान नेतृत्व और संगठनात्मक स्थिरता
मार्च 2020 में कार्यभार संभालने के बाद से, क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम जी ने राजस्थान में संघ के कार्यों को सफलतापूर्वक नेतृत्व प्रदान किया है। उनके नेतृत्व में संघ के कार्यों को शैक्षिक, सामाजिक (विशेष रूप से घुमंतू परिवारों के लिए), और राजनीतिक समन्वय के माध्यम से आगे बढ़ाया गया है। उनके नेतृत्व में, संघ परिवार ने नए वैचारिक आयामों पर बल दिया है, जिनमें 2047 के ‘अमृत काल’ के लिए पंच प्रण, आत्मनिर्भर भारत, और भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं, जिन्हें शैक्षिक संगठनों के सहयोग से सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया गया है ।