भारत माता की आरती: संपूर्ण बोल, इतिहास और महत्व | Bharat Mata Ki Aarti Lyrics

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Bharat Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi: भारत माता की आरती केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों के लिए राष्ट्रप्रेम, समर्पण और राष्ट्रीय एकता का एक शक्तिशाली प्रतीक है। यह आरती अक्सर राष्ट्रीय पर्वों, सांस्कृतिक आयोजनों और देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों में गाई जाती है, जो मातृभूमि के प्रति अटूट आस्था और गौरव की भावना को जाग्रत करती है।

आइए, इस पावन आरती के संपूर्ण बोल, इतिहास और इसके महत्व को विस्तार से समझते हैं।

भारत माता की आरती (Bharat Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi)

स्थायी: आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की। आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥

दोहा 1 सिर पर हिम गिरिवर सोहै, चरण को रत्नाकर धोए, देवता गोदी में सोए, रहे आनंद, हुए न द्वन्द, समर्पित छंद, बोलो जय बुद्धिप्रदाता की॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥

दोहा 2 जगत में लगती है न्यारी, बनी है इसकी छवि प्यारी, कि दुनियाँ देख जले सारी, देखकर झलक, झुकी है पलक, बढ़ी है ललक, कृपा बरसे जहाँ दाता की॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥

दोहा 3 गोद गंगा जमुना लहरे, भगवा फ़हर फ़हर फ़हरे, लगे हैं घाव बहुत गहरे, हुए हैं खण्ड, करेंगे अखण्ड, देकर दंड मौत परदेशी दाता की॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥

दोहा 4 पले जहाँ रघुकुल भूषण राम, बजाये बंसी जहाँ घनश्याम, जहाँ का कण कण तीरथ धाम, बढ़े हर धर्म, साथ शुभ कर्म, लढे बेशर्म बनी श्री राम दाता की॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥

दोहा 5 बढ़े हिन्दू का स्वाभिमान, किया केशव ने जीवनदान, बढ़ाया माधव ने भी मान, चलेंगे साथ, हाथ में हाथ, उठाकर माथ, शपथ गीता गौमाता की॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥ आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की॥


आरती का इतिहास और महत्व

  1. राष्ट्रीय भावना का प्रतीक: यह आरती आजादी के आंदोलन और उसके बाद राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करने के लिए तैयार की गई थी। यह पूरे देश के भूगोल, इतिहास और संस्कृति को समेटती है।
  2. हिमालय से सागर तक का वर्णन: आरती में देश के भौगोलिक स्वरूप का वर्णन है—सिर पर हिमालय (हिम गिरिवर सोहै) और चरणों को रत्नाकर (सागर) धोता है। गंगा-जमुना का उल्लेख देश की कृषि और जीवनरेखा को दर्शाता है।
  3. धार्मिक और सांस्कृतिक समावेश: यह आरती हिंदू धर्म के विभिन्न आराध्यों (जैसे राम, कृष्ण) का उल्लेख करती है, साथ ही यह संदेश देती है कि भारत में हर धर्म का सम्मान है (“बढ़े हर धर्म, साथ शुभ कर्म”)।
  4. बलिदान का स्मरण: आरती की पंक्तियाँ देश की आजादी के लिए दिए गए बलिदानों और मातृभूमि पर हुए “गहरे घावों” को भी याद करती हैं, और “हुए हैं खण्ड, करेंगे अखण्ड” के माध्यम से देश को अखंड रखने के संकल्प को दोहराती हैं।
  5. कर्तव्यबोध: यह आरती अंत में शपथ लेने के लिए प्रेरित करती है—”शपथ गीता गौमाता की”—जो देश के प्रति कर्तव्य और नैतिकता के मूल्यों को स्थापित करती है।

यह आरती हमें केवल प्रार्थना करना नहीं सिखाती, बल्कि मातृभूमि की रक्षा, सेवा और सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे हर भारतीय में राष्ट्रीय गौरव की भावना प्रबल हो सके।

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