मिशनरी पत्रकार और पेशेवर पत्रकार: नैतिकतावादी कौन?

यह तय करना कि मिशनरी पत्रकार (Missionary Journalist) और पेशेवर पत्रकार (Professional Journalist) में कौन “ज़्यादा नैतिकतावादी” होता है, एक जटिल प्रश्न है, क्योंकि दोनों की नैतिकता के मूल में अलग-अलग प्रेरणाएँ और प्राथमिकताएँ हो सकती हैं। असल में, नैतिकता पत्रकार के व्यक्तिगत मूल्यों और उनके पेशे के प्रति समर्पण पर निर्भर करती है, न कि केवल उनकी ‘पहचान’ पर।


मिशनरी पत्रकार कौन होता है?

मिशनरी पत्रकार वह होता है जो पत्रकारिता को एक मिशन या उद्देश्य (Mission or Cause) के रूप में देखता है। उनका प्राथमिक लक्ष्य अक्सर समाज में एक विशिष्ट बदलाव लाना, किसी विशेष विचार को बढ़ावा देना, अन्याय के खिलाफ लड़ना, या किसी वंचित वर्ग की आवाज़ बनना होता है। उनके लिए पत्रकारिता सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा या किसी बड़े आदर्श की प्राप्ति का एक माध्यम होती है।

  • प्रेरणा: सामाजिक सुधार, राजनीतिक बदलाव, किसी सिद्धांत का प्रचार, या किसी विशेष समुदाय के हितों की रक्षा।
  • उदाहरण: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी या गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकार, जिन्होंने पत्रकारिता को देश की आजादी के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। आज भी कुछ पत्रकार सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण या मानवाधिकारों के लिए अपनी कलम चलाते हैं।

पेशेवर पत्रकार कौन होता है?

पेशेवर पत्रकार वह होता है जो पत्रकारिता को एक पेशे (Profession) के रूप में देखता है, जहाँ उसे अपने काम के लिए वेतन मिलता है। इनका प्राथमिक लक्ष्य तथ्यों की सटीकता (Factual Accuracy), निष्पक्षता (Impartiality), संतुलन (Balance) और वस्तुनिष्ठता (Objectivity) बनाए रखते हुए जनता को सूचित करना होता है। वे आम तौर पर पत्रकारिता की स्थापित आचार संहिता (Code of Ethics) और व्यावसायिक मानकों का पालन करने पर जोर देते हैं।

  • प्रेरणा: पेशेवर उत्कृष्टता, विश्वसनीयता, जनता को सूचित करना और पत्रकारिता के स्थापित सिद्धांतों का पालन करना।
  • उदाहरण: अधिकांश मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों में काम करने वाले पत्रकार, जो समाचार रिपोर्टिंग और विश्लेषण में विशेषज्ञता रखते हैं।

कौन ज्यादा नैतिकतावादी होता है?

यह कहना मुश्किल है कि कौन “ज़्यादा नैतिकतावादी” होता है, क्योंकि दोनों ही प्रकार के पत्रकारों में उच्च नैतिक मूल्य हो सकते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकताएँ और जोखिम अलग-अलग होते हैं:

  1. प्रेरणा और प्राथमिकताएँ:
    • मिशनरी पत्रकार: इनकी नैतिकता अक्सर उनके मिशन के प्रति अटूट समर्पण से प्रेरित होती है। वे उस मिशन को सफल बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर सकते हैं। हालांकि, उनका यह समर्पण कभी-कभी निष्पक्षता और संतुलन को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि वे अपने उद्देश्य को प्राथमिकता दे सकते हैं। वे जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ नहीं सकते, लेकिन वे केवल उन्हीं तथ्यों को उजागर कर सकते हैं जो उनके मिशन का समर्थन करते हैं।
    • पेशेवर पत्रकार: इनकी नैतिकता पेशेवर मानकों और आचार संहिता से प्रेरित होती है। वे तथ्यों की जाँच, निष्पक्षता और सभी पक्षों को प्रस्तुत करने पर ज़ोर देते हैं। वे मानते हैं कि उनका प्राथमिक कर्तव्य जनता को सभी जानकारी उपलब्ध कराना है ताकि वे खुद निष्कर्ष निकाल सकें।
  2. जोखिम और चुनौतियाँ:
    • मिशनरी पत्रकार: इनके लिए जोखिम यह है कि उनका मिशन उन्हें पूर्वाग्रही (biased) बना सकता है। वे अपने उद्देश्य को इतना महत्वपूर्ण मान सकते हैं कि कभी-कभी तथ्यों की पूरी तस्वीर पेश करने से चूक सकते हैं या दूसरे पक्ष की आवाज़ को पर्याप्त महत्व नहीं दे सकते।
    • पेशेवर पत्रकार: इनके लिए जोखिम यह है कि व्यवसायिक दबाव (Commercial Pressures) (जैसे विज्ञापन, टीआरपी/व्यूअरशिप की दौड़) या राजनीतिक दबाव (Political Pressures) उनकी निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं। उन्हें अपने पेशे की कमाई के लिए समझौता करने का प्रलोभन हो सकता है।
  3. सार्वजनिक धारणा:
    • मिशनरी पत्रकार को कभी-कभी एजेंडा-संचालित (agenda-driven) माना जा सकता है, लेकिन उनके जुनून और बहादुरी के लिए उनकी सराहना भी की जाती है।
    • पेशेवर पत्रकार को विश्वसनीय (credible) और निष्पक्ष माना जाता है, लेकिन अगर वे व्यावसायिक दबावों के आगे झुकते हैं, तो उनकी विश्वसनीयता दांव पर लग सकती है।

निष्कर्ष:

दोनों ही प्रकार के पत्रकारों में उच्च नैतिक मूल्य हो सकते हैं। एक मिशनरी पत्रकार अपने आदर्शों के प्रति अत्यधिक समर्पित हो सकता है, जो उसे नैतिक रूप से मजबूत बनाता है। वहीं, एक पेशेवर पत्रकार अपनी निष्पक्षता, सटीकता और वस्तुनिष्ठता के प्रति अडिग रहकर उच्च नैतिक मानकों का पालन कर सकता है।

नैतिकता का निर्धारण अंततः व्यक्तिगत आचरण (individual conduct) पर निर्भर करता है:

  • क्या पत्रकार सत्य बोल रहा है?
  • क्या वह तथ्यों को सत्यापित कर रहा है?
  • क्या वह हानि को कम करने का प्रयास कर रहा है?
  • क्या वह सार्वजनिक हित को प्राथमिकता दे रहा है?
  • क्या वह दबावों के आगे झुकने से बच रहा है?

इन सवालों के जवाब ही यह तय करते हैं कि कोई पत्रकार कितना नैतिकतावादी है, चाहे वह खुद को मिशनरी कहे या पेशेवर। दोनों को ही अपने-अपने संदर्भ में नैतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वे उन चुनौतियों से कितनी ईमानदारी और साहस के साथ निपटते हैं।

Share This Article
Exit mobile version