जयपुर, 8 फरवरी: भारतीय नदियों के महत्व को पत्रकारिता के छात्रों तक पहुँचाने और देश के विभिन्न हिस्सों में नदियों के किनारे स्थित यात्रा स्थलों से परिचित कराने के उद्देश्य से आज जयपुर में एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया। सक्षम संचार फाउंडेशन ने मणिपाल संस्थान के सहयोग से नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर नर्मदा नदी पर बनी फिल्म ‘रेवा’ की विशेष स्क्रीनिंग आइनॉक्स जीटी सेंट्रल मॉल में की।
नदियाँ: अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा और संस्कृति की संवाहक
इस फिल्म स्क्रीनिंग का मुख्य उद्देश्य पत्रकारिता के छात्रों को यह समझना था कि नदियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कैसे हो सकती हैं। फिल्म ने प्रभावी ढंग से दर्शाया कि कैसे नदियाँ न केवल जल संसाधन प्रदान करती हैं, बल्कि संस्कृति, व्यापार, पर्यटन और व्यवसाय को भी कैसे बढ़ावा देती हैं। ‘रेवा’ के माध्यम से छात्रों को नदी घाटी सभ्यताओं, नदियों के किनारे विकसित हुए व्यापारिक केंद्रों और पर्यटन स्थलों के बारे में गहन जानकारी मिली।
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सराहा प्रयास
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए और इस पहल की सराहना की। अनुभवी फिल्म समीक्षक मनु त्रिपाठी ने इस कार्यक्रम को अपने लिए एक नया अनुभव बताया। उन्होंने कहा, “नदियों के महत्व जानने के लिए पत्रकारिता के छात्रों को फिल्म स्क्रीनिंग से जोड़ना मेरा पहला अनुभव है, और यह एक सराहनीय कदम है।”
सामाजिक कार्यकर्ता सुजाता वर्मा ने इस प्रयास को छात्रों को प्रकृति के आशीर्वाद से अवगत कराने का सबसे अच्छा तरीका बताया। उन्होंने जोर दिया कि प्रकृति के साथ जुड़ाव वर्तमान पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है।
एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार ने ‘रेवा’ फिल्म की कहानी की गहराई और उसमें छिपे आश्चर्यजनक रहस्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह फिल्म कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी है। मनोज कुमार ने यह भी रेखांकित किया कि जिस तरह ‘रेवा’ में नर्मदा की कहानियां उजागर हुईं, उसी तरह देश की अन्य नदियों में और उनके आसपास भी कई अनकही कहानियां छिपी हुई हैं, जिन्हें आने वाले समय में पत्रकारिता के माध्यम से उजागर करने की जरूरत है।
व्यावहारिक ज्ञान और भविष्य की योजनाएँ
सक्षम संचार फाउंडेशन के कोऑर्डिनेटर रवींद्र नागर ने कार्यक्रम के पीछे के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन की योजना विभिन्न स्थानों पर जाकर पत्रकारिता के छात्रों को प्रशिक्षित करने की है, ताकि वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान (Practical Knowledge) भी प्राप्त कर सकें। यह पहल छात्रों को ज़मीनी रिपोर्टिंग और पर्यावरण पत्रकारिता के लिए तैयार करेगी।
वरिष्ठ पत्रकार अर्चना शर्मा ने भी संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों को बार-बार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह बहुत ज़रूरी है कि छात्र हमारी नदियों, प्राकृतिक संसाधनों के बारे में जानें और उनसे जुड़ी कहानियों को सामने ला सकें।”
मणिपाल इंस्टीट्यूट के पत्रकारिता विभाग की छात्रा रिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग एक बेहतरीन अनुभव था और उन्हें इससे कई रोचक जानकारियाँ मिलीं।
यह कार्यक्रम पत्रकारिता के क्षेत्र में पारंपरिक शिक्षा से परे जाकर छात्रों को वास्तविक दुनिया के मुद्दों से जोड़ने का एक सफल प्रयास रहा, जिसने उन्हें नदियों के पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के बारे में सोचने पर मजबूर किया।