त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंभौर (Trinetra Ganesh Temple) – रणतभंवर गणेश जी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर में स्थित ‘त्रिनेत्र गणेश मंदिर’ विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान गणेश जी अपने पूरे परिवार दो पत्नी- रिद्धि और सिद्धि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजते हैं। त्रिनेत्र गणेश भगवान के तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

गणेश जी के नाम से आती है डाक
‘ त्रिनेत्र गणेश मंदिर ‘ एक ऐसा मंदिर है जहां गणेशजी के नाम से नाम डाक भी आती है। देश भर से भक्त अपने घर में होने वाले हर मांगलिक कार्य का प्रथम निमंत्रण श्री गणेशजी को देते हैं। किसी कारण वश मंदिर तक नहीं पहुंच पाने की स्थिति में भक्त गणेशजी के लिए निमंत्रण पत्र प्रेषित करते हैं। निमंत्रण पत्रों पर लिखा जाने वाला पता इस प्रकार होता है- ‘श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधोपुर (राजस्थान)’। इस पते से निमंत्रण पत्र आसानी से गणेशजी तक पहुंच जाता है। मंदिर के पुजारी इन निमंत्रण पत्रों को भगवान को पढ़ कर सुनाते भी है।
कहां स्थित है मंदिर ?
यह मंदिर अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित विश्व धरोहर में शामिल रणथम्भौर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। सवाई माधोपुर से 13 किलोमीटर दूरी पर यह मंदिर स्थित है तथा जयपुर जिले से यह मंदिर की दूरी 142 किलोमीटर है।
कब, किसने और क्यों करवाया निर्माण ?
त्रिनेत्र गणेश मंदिर का निर्माण कार्य 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर देव चौहान ने करवाया था। इस मंदिर के बारे मे कहा जाता है कि युद्ध के दौरान राजा हमीर देव चौहान के सपने में भगवान गणेश जी आए और उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया। राजा की युद्ध में विजय हुई और उन्होंने विजय स्वरूप रणथम्भौर के किले में गणेश मंदिर का निर्माण करवाया।