राजसमंद झील का अनोखा इतिहास: द्वितीय विश्व युद्ध में RAF का जल-विमान बेस था ‘मेवाड़ का रत्न’

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राजसमंद, राजस्थान: क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में स्थित एक झील कभी लंदन और सिडनी के बीच उड़ान भरने वाले जल-विमानों (seaplanes) का प्रमुख अड्डा हुआ करती थी? यह सुनने में भले ही विरोधाभासी लगे, लेकिन यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है। हालिया विश्लेषण और उपलब्ध साक्ष्यों से इस बात की पुष्टि होती है कि अकाल राहत के लिए बनी राजसमंद झील का द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रॉयल एयर फोर्स (RAF) ने एक महत्वपूर्ण सैन्य जल-विमान बेस के रूप में उपयोग किया था।


एक अकाल राहत परियोजना से शाही हवाई अड्डे तक का सफर

राजसमंद झील का निर्माण 17वीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक, महाराणा राज सिंह प्रथम ने एक अकाल राहत कार्य के रूप में करवाया था। लेकिन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, ब्रिटिश साम्राज्य ने अपने विशाल क्षेत्रों को जोड़ने के लिए इस झील की क्षमता को पहचाना। ब्रिटिशों ने इसे अपने लंदन से सिडनी तक जाने वाले “पूर्वी मार्ग” पर एक आदर्श “एयरो-मरीन-ड्रोम” (seaplane base) के रूप में चुना। 1937 में, सीप्लेन के संचालन को आसान बनाने के लिए झील में लोहे की कड़ियों से एक जेटी का भी निर्माण किया गया था, जहाँ से यात्री उड़ान भरते और उतरते थे।


इंपीरियल एयरवेज से RAF का अधिग्रहण

यह समझना महत्वपूर्ण है कि द्वितीय विश्व युद्ध के शुरुआती दिनों में, इंपीरियल एयरवेज का विलय हो गया था। इसके बाद, युद्ध शुरू होने पर रॉयल एयर फोर्स (RAF) ने इस बेस का अधिग्रहण कर लिया। राजसमंद की भूमिका अब एक वाणिज्यिक पड़ाव से बदलकर युद्धकालीन रसद का एक अभिन्न अंग बन गई। यह कराची और कलकत्ता के बीच सैनिकों और डाक के त्वरित परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण सहायक बेस बन गया, जो उत्तरी अफ्रीका और बर्मा में चल रहे युद्ध प्रयासों का समर्थन करता था।


अतीत का ठोस प्रमाण: झील से मिला लंगर

इस अनोखी ऐतिहासिक कहानी को 2003 में तब और मजबूती मिली, जब एक विशेष रूप से सूखे वर्ष में राजसमंद झील का जलस्तर बहुत कम हो गया था। ग्रामीणों ने झील के तल पर एक भारी लोहे की जंजीर वाला लंगर (anchor) पाया। इस खोज ने इस क्षेत्र में काफी हलचल मचा दी और लंबे समय से भूली हुई यादों को वापस ले आई। यह लंगर इतिहास का एक ठोस प्रमाण बन गया जिसने इस स्थान के इतिहास को सत्यापित किया।

युद्ध की समाप्ति के साथ ही, भूमि-आधारित हवाई जहाजों के अधिक प्रमुख होने के कारण सीप्लेन का युग समाप्त हो गया। आज, यह झील अपने शांत, पर्यटन-केंद्रित चरित्र में वापस आ गई है, लेकिन यह एक अनूठी ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है।

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