राजस्थान अपनी अनूठी आस्था, परंपराओं और चमत्कारी मंदिरों के लिए जाना जाता है, लेकिन पाली जिले में स्थित एक मंदिर ऐसा है जो इन सभी से बिल्कुल अलग है। जोधपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित इस मंदिर में किसी देवी-देवता की मूर्ति की नहीं, बल्कि एक मोटरसाइकिल (Motorcycle) की पूजा होती है, जिसे भक्तगण श्रद्धापूर्वक ‘बुलेट बाबा’ (Bullet Baba) कहते हैं। इस मंदिर को ओम बन्ना मंदिर (Om Banna Temple) के नाम से जाना जाता है और यह दूर-दूर के पर्यटकों और यात्रियों के लिए आस्था और कौतूहल का केंद्र है।

मंदिर की अनोखी मान्यताएँ और प्रसाद
ओम बन्ना मंदिर की मान्यताएँ अत्यंत विशिष्ट हैं जो इसे देश के अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं:
- अनोखी पूजा: यहाँ पर रखी गई बुलेट 350 मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है, जिसका नंबर RNJ 7773 है।
- चढ़ता है शराब: सामान्य मंदिरों के विपरीत, यहाँ आने वाले श्रद्धालु भगवान को फूल, माला और प्रसाद के अलावा शराब भी चढ़ाते हैं, जो एक अनूठी परंपरा का हिस्सा है।
- सुरक्षित यात्रा का विश्वास: इस मंदिर की सबसे बड़ी मान्यता यह है कि यहाँ से गुजरने वाले जो भी यात्री रुक कर प्रार्थना करते हैं, उनकी आगे की यात्रा सुखद और मंगल होती है। इसके विपरीत, स्थानीय लोगों में यह डर है कि अगर कोई बिना रुके सीधा निकल जाए, तो उसके साथ दुर्घटना (accident) घट सकती है।
मंदिर जोधपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली से लगभग 20 किलोमीटर दूर सड़क के किनारे एक छोटे से चबूतरे पर स्थित है।
ओम बन्ना का इतिहास: चमत्कारिक बुलेट की कहानी
ओम बना (ओम सिंह राठौड़) पाली कस्बे के पास स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह जी राठौड़ के पुत्र थे। मंदिर के पीछे की कहानी 1988 की है, जब ओम बन्ना की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हुई थी।
- दुर्घटना: वर्ष 1988 में, ओम बन्ना अपने ससुराल से लौट रहे थे, तभी उनकी मोटरसाइकिल एक पेड़ से टकरा गई और इस हादसे में उनकी मौत हो गई।
- बुलेट का चमत्कार: हादसे के बाद जब पुलिस ने ओम बन्ना की बुलेट को थाने ले जाकर बंद कर दिया, तो अगली सुबह मोटरसाइकिल थाने से गायब मिली और अपने आप ही दुर्घटनास्थल पर पहुँच गई। पुलिस ने इसे बार-बार थाने लाने की कोशिश की, लेकिन हर बार सुबह होते ही बुलेट रात में थाने से गायब हो जाती और दुर्घटनास्थल पर पहुँच जाती।
- आस्था की शुरुआत: इस अविश्वसनीय चमत्कार के बाद, पुलिस और स्थानीय लोगों ने ओम बन्ना की बुलेट को हादसे वाले स्थान पर ही रहने दिया। लोगों में इसकी मान्यता बढ़ती गई और जल्द ही ओम बन्ना की बुलेट की पूजा होने लगी। स्थानीय लोगों का मानना है कि पहले यहाँ बहुत हादसे होते थे, लेकिन ओम बन्ना का मंदिर बनने के बाद दुर्घटनाओं में कमी आ गई है।