साल में सिर्फ एक बार खुलता है उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर…क्या है इसकी वजह ?

Live Sach Profle Photo

भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, लेकिन उज्जैन (Ujjain) का नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Mandir) बाकि मंदिरों से अलग है। यह मंदिर श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) की तीसरी मंजिल पर स्थित है।

यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है, जो लगातार 24 घंटे तक खुले रहते हैं। मान्यतानुसार श्री नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।

पूरी दुनिया में यह एक मात्र ऐसी प्रतिमा है जिसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।

पौराणिक मान्यता :

शिव जी को मनाने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या के प्रसन्न शिव जी ने, राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया था। मान्यता के अनुसार, इसके बाद से ही तक्षक राजा ने भोलेनाथ के सा‍‍‍न्निध्य में वास करना शुरू कर दिया था। लेकिन राजा तक्षक चाहते थे कि उनके एकांत में कोई विघ्न न पड़े। अत: वर्षों से यही प्रथा है कि नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन देते हैं। यही कारण है कि मंदिर के कपाट केवल नागपंचमी को ही खोले जाते हैं। बाकी के समय मंदिर बंद ही रहता है।

मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का भी निवारण हो जाता है।

यह भी पढ़ें

Live Sach – तेज़, भरोसेमंद हिंदी समाचार। आज की राजनीति, राजस्थान से ब्रेकिंग न्यूज़, मनोरंजन, खेल और भारतदुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले आपके मोबाइल पर पढ़ें!

Share This Article
Leave a Comment