श्री हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अत्यंत लोकप्रिय और शक्तिशाली भक्तिमय स्तोत्र है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह हिंदुओं के बीच सबसे अधिक पढ़े जाने वाले धार्मिक ग्रंथों में से एक है। माना जाता है कि इसका नियमित पाठ करने से संकटों से मुक्ति, भय का नाश, और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिरों में और घरों में इसका पाठ किया जाता है।
दोहा (Doha)
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार॥
चौपाई (Chaupai)
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाए। श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीड़ा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥
दोहा (Doha)
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
हनुमान चालीसा का महत्व और लाभ (Importance and Benefits of Hanuman Chalisa)
हनुमान चालीसा का पाठ केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि इसके कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ भी हैं:
- भय और संकट से मुक्ति: माना जाता है कि इसका पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय, भूत-प्रेत बाधाओं और संकटों से मुक्त होता है।
- बल, बुद्धि और विद्या: चालीसा के पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे शारीरिक बल, बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह मन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास भरता है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
- रोगों से मुक्ति: नियमित पाठ से रोगों और पीड़ाओं से राहत मिलने की भी मान्यता है।
- इच्छापूर्ति: जो कोई भी सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- शनि दोष निवारण: विशेष रूप से शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यंत सरल है और इसे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय कर सकता है। यह मन और आत्मा को शांति प्रदान करने का एक शक्तिशाली माध्यम है।