राजस्थान की राजधानी जयपुर जो कि दुनियाभर में गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। जयपुर शहर में ही अरावली पर्वतमाला पर स्थित गढ़ गणेशजी के नाम से प्रसिद्ध भगवान गणपति का मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर बिना सूंड वाले गणेशजी विराजमान है।
गढ़ गणेशजी मंदिर का फोटो – Garh Ganesh Temple Photos
इस मंदिर में मूर्ति की तस्वीर लेना प्रतिबंधित है। आज तक सामने नहीं आई है इस मंदिर में स्थित बालरूप गणेशजी की तस्वीर! सिर्फ भगवान गणपति के बालरुप के दर्शन किये जा सकते हैं।
चंद्र महल से होते हैं दर्शन
महाराजा सवाई जयसिंह के वास्तुशास्त्रियों ने मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार से करवाया कि वे प्रति दिन सुबह सिटी पैलेस के ‘चंद्र महल’ की ऊपरी मंजिल से दूरबीन की सहायता से मूर्ति के दर्शन कर सकें। राजपरिवार के सदस्य जिस महल में रहते है उसे चंद्र महल के नाम से जाना जाता है। यह सिटी पैलेस का हिस्सा है।
महाराजा सवाई जयसिंह के वास्तुशास्त्रियों ने गढ़ गणेश मंदिर के अलावा गोविंद देव जी मंदिर, सिटी पैलेस और अल्बर्ट हाॅल को एक ही दिशा में कुछ इस प्रकार से समानांतर निर्माण करवाया गया है कि सिटी पैलेस से खड़े होकर राज परिवार हर दिन सुबह शाम मंदिर में होने वाली आरती के दर्शन किया करते थे। सिटी पैलेस की छत पर खड़े होकर पर्यटक इस दृश्य को आज भी दूरबिन की सहायता से देख सकते हैं।
365 हर दिन होता था एक सीढ़ी का निर्माण
गढ़ गणेश जी मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सिढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। माना जाता है मंदिर निर्माण के समय इन सिढ़ियों को बनाने में एक साल का समय लगा था यानि एक दिन में केवल एक सीढ़ी का ही निर्माण किया जाता था।
कब हुआ निर्माण
गढ़ गणेशजी मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई थी। महाराज सवाई जयसिंह ने जयपुर की स्थापना के लिए गुजरात के विशेष पंडितों को यहां बुलाकर अश्वमेध यज्ञ करवाया था। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर यहां पौराणिक काल में भी स्थापित हुआ करता था। विदेशी आक्रमणकारियों ने मंदिर को ध्वस्त कर मूर्तियों को खंडित कर दिया और यहां भारी मात्रा में मौजूद कीमती आभूषण, सोना और हीरे-मोती आदि लूट कर ले गये थे। बाद में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने इसका जिर्णोद्दार करवाया।
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